सोमवार, 6 अप्रैल 2020

KOVID-19 PIB FACTCHECK कोविड-19 फैक्ट चैक : अफवाहों की सत्यता जांचें, भा...





कोविड-19 फैक्ट चैक

अफवाहों की सत्यता जांचें, भारत सरकार ने की व्यवस्था:

भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय, (पीआईबी) द्वारा सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों की सत्यता जानने के लिये अपनी वेबसाइट पर ‘‘फैक्ट चैक’’ की एक लिंक जोड़ी गई है। वहाँ से लाॅगिन करके कोई भी नागरिक ऐसी खबरों/समाचारों की सत्यता जांच सकता है, जिसमें उसे लगता है कि यह खबर अथवा समाचार अफवाह हो सकती है। अफवाहों से सावधान रहें, घर में रहें और सुरक्षित रहें।
-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

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शनिवार, 4 अप्रैल 2020

KOVID19 MASK कोविड19 : पुरानी सूती बनियान या टी.शर्ट अथवा अन्य सूची वस्त...



कोविड-19

सूती कपड़े से मास्क बनाने की विधि 

           कोरोना वायरस की रोकथाम हेतु भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा घर में मास्क बनाने हेतु एक नियमावली (मैनुअल) बनाई है, जिसे जनसामान्य की जानकारी हेतु पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार द्वारा आज दिनांक 04 अप्रैल, 2020 को प्रकाशित किया गया है। जिसमें कोरोना वायरस से बचाव हेतु घर पर ही पुरानी सूती बनियान या टी.शर्ट अथवा सूती कपड़े से मास्क बनाने की विधि विस्तार से समझाई गई है।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

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गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

AAYUSH KOVID-19 कोविड-19 भारत सरकार के आयुष मंत्रालय : आयुर्वेदिक उपाय





कोविड-19

             कोविड-19 संकट के दौरान स्वयं की देखभाल और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेदिक उपाय बताये गये हैं, उन्हीं को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है। घर में रहिए-स्वस्थ्य रहिए।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’


बुधवार, 1 अप्रैल 2020

COVID-19 अफवाहों से सावधान रहें और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर...





कोविड-19

अफवाहों से सावधान रहें और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें...

       भारत सरकार एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लोगों की जिज्ञासा को समाधान करने एवं अफवाहों से सावधान रहने के लिये जारी किये गये दिशा-निर्देशों का संकलन।

       भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा की गई मार्मिक अपील के तारतम्य में सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अपने घर में ही रहें और कोरोना वायरस की महामारी से इस देश को बचाने में सहयोग करें।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’


मंगलवार, 31 मार्च 2020

एक अनुरोध/एक चेतावनी

"एक अनुरोध/एक चेतावनी"

न बरछी, न तलवार
न बंदूक की गोली, न तोप का गोला
न परमाणु बम, न रसायन बम
न विषकन्या, न जासूस

एक अतिसूक्ष्म जीव
कोरोना वायरस

जिसने महाशक्ति की स्पर्धा में
दौड़ते-भागते देशों को ही नहीं
बल्कि/संपूर्ण विश्व के
राजनेताओं और वैज्ञानिकों को
झकझोर कर रख दिया है

हे मानव अब तो संभल

तुझे पृथ्वी पर
पृथ्वी के लिए
सृष्टि ने रच कर भेजा है
उसे सजा-संवार

छोड़ दे अन्य ग्रहों की भाग-दौड़
छोड़ दे/जन्म-मृत्यु की दूरी नापना
छोड़ दे देखना
महाशक्ति बनने का स्वप्न

सोच
कैसे एक सूक्ष्म वायरस ने
विश्व को हिला कर रख दिया है

इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता
कि उसकी सृष्टि
मानव से हुई
या किसी जीव से

लेकिन ये कटुसत्य है
कि तुझे
तेरे बौनेपन का अहसास कराने
तुझे संभल जाने का एक और अवसर
उस सृजनकर्ता ने तुझे दिया है

यदि तू अभी भी न संभला
तो भविष्य में/इस प्रकृति को ही
सबकुछ संभालना होगा।

-दुर्गेश गुप्त 'राज'

फेसबुक

सोमवार, 30 मार्च 2020

"विश्व स्वास्थ्य संगठन" (WHO) के मोबाइल नंबर से जानकारी प्राप्त करें



"विश्व स्वास्थ्य संगठन" (WHO)  के मोबाइल नंबर से जानकारी प्राप्त करें


"विश्व स्वास्थ्य संगठन" (WHO) के माध्यम से हम "कोविड-19" की अपडेट जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिये हमें (WHO) का मोबाइल नंबर अपने वाट्सअप में सेव करना होगा। हम इसके उपरांत अपने मोबाइल पर सीधे ही "विश्व स्वास्थ्य संगठन" की वेबसाइट से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।



-दुर्गेश गुप्त ‘राज’


शनिवार, 28 मार्च 2020

वाट्सएप मोबाइल नंबर 9013151515 कैसे काम करता है..





वाट्सएप मोबाइल नंबर 9013151515

           माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं भारत सरकार द्वारा कोविड-19 की अद्यतन जानकारी हेतु वाट्सएप मोबाइल नंबर 9013151515 जारी किये जाने का संदेश दिया गया था। यह नंबर कैसे काम करता है, विस्तार से समझें।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

सोमवार, 16 मार्च 2020

ऐसी वीडियो आपने शायद ही पहले देखी हो.. INDIGO FLIGHT LANDING ON JAMMU A...


मेरे संग्रह से.....

ऐसी वीडियो आपने शायद ही पहले देखी हो....

जम्मू एअरपोर्ट पर इंडिगो वायुयान की लेंडिंग

             अपने संग्रह से श्रीनगर से जम्मू आते समय इंडिगो वायुयान की एअरपोर्ट पर लेंडिंग के समय बनाई गई वीडियो मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ, आशा है पसंद आयेगी।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’


श्री अमरनाथ जी की यात्रा भाग-1: ग्वालियर से श्री नगर हवाई यात्रा AMARNA...



मेरे संग्रह से.....

श्री अमरनाथ जी की यात्रा भाग-1

ग्वालियर से श्री नगर हवाई यात्रा

                मेरे संग्रह में भारत-भ्रमण के समय के कई वीडियो एवं जानकारी संकलित हैं। अतः मैंने विचार किया कि क्यों न अपनी जानकारी एवं अनुभव आपसे साझा किये जायें। इस श्रंखला के तहत मैं सबसे पहले आपको श्री अमरनाथ जी की यात्रा के अनुभव साझा कर रहा हूँ।

                 यह यात्रा बहुत ही रोचक रही थी। दिनांक 01 अगस्त, 2019 को बाबा बर्फानी जी के दर्शन उपरांत दिनांक 02 अगस्त, 2019 को जम्मू एवं कश्मीर सरकार द्वारा ‘‘एडवायजरी’’ जारी किये जाने से बाबा अमरनाथ जी की यात्रा निरस्त कर दी गई थी और सभी पर्यटकों एवं दर्शनार्थियों को एक-दो दिन में घाटी छोड़कर सुरक्षित स्थान पर अथवा अपने-अपने घर चले जाने के निर्देश जारी किये गये। दिनांक 03 अगस्त, 2019 को बालटाल, पंजतरनी एवं अन्य स्थानों से लंगर आदि हटा दिये गये। होटल पर्यटकों से खाली कराये जाने लगे। कश्मीर से पर्यटकों को बाहर सुरक्षित स्थानों पर भेजने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाने लगी। वायुसेना से वायुयानों से पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाने लगा।

                हमारा 04 अगस्त, 2019 को वायुयान से जम्मू का टिकिट था, अतः दो दिन हमें वहीं गुजारने थे। वे दिन कैसे बीते यह धीरे-धीरे आपको जानकारी दूँगा।

                 सबसे पहले आपको ग्वालियर से श्री नगर की हवाई जहाज से यात्रा करा रहा हूँ। इसके बाद अगली कड़ी में आपको डल झील की सैर, बालटाल से बाबा बर्फानी के दर्शन तक की यात्रा, सोनमर्ग, जीरो पाइंट एवं अन्य जगहों की यात्रा पर भी ले चलूंगा। 

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’





बुधवार, 11 मार्च 2020

आकाशवाणी महानिदेशक द्वारा प्रसन्नता व्यक्त

अपने संग्रह से.... 

आकाशवाणी महानिदेशक द्वारा प्रसन्नता व्यक्त


      जब मैंने आकाशवाणी से प्रसारित कहानी, कविता, नाटक एवं झलकियों को यूट्यूब एवं सोशल मीडिया पर साझा करने की सूचना महानिदेशक आकाशवाणी, नई दिल्ली को दी, तो उनके द्वारा मेरे इस प्रयास की प्रसन्नता अपने ईमेल द्वारा की गई है।

ट्विटर





रविवार, 8 मार्च 2020

आकाशवाणी काव्य-पाठ - दुर्गेश गुप्त ‘राज’ KAVYAPATH DURGESH (02july1985)


अपने संग्रह से ......

आकाशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से प्रसारित काव्य-पाठ
           आज मैं अपने संग्रह से 35 वर्ष पहले 02 जुलाई, 1985 को आकाशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से ‘युववाणी’ कार्यक्रम के तहत प्रसारित काव्य-पाठ साझा कर रहा हूँ। यह काव्य-पाठ आकाशवाणी केन्द्र द्वारा अपने लोकप्रिय कार्यक्रम ‘युववाणी’ में प्रसारित किया गया था। 
           पुरानी रिकार्डिंग होने से आवाज में थोड़ी अस्पष्टता होना स्वाभाविक है।
-दुर्गेश गुप्त ‘राज’



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आकाशवाणी से प्रसारित कहानी ‘‘और खुशियाँ लौट आईं’’ KAHANI (19Feb1981)


अपने संग्रह से ......
आकाशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से प्रसारित कहानी ‘‘और खुशियाँ लौट आईं’’
           आज मैं अपने संग्रह से 39 वर्ष पहले 19 फरवरी, 1981 को आकाशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से ‘युववाणी’ कार्यक्रम के तहत प्रसारित कहानी ‘‘और खुशियाँ लौट आईं’’ साझा कर रहा हूँ। यह वह समय था जब ‘युववाणी’ कार्यक्रम बड़े ही मन से सुना जाता था। उस समय तीसरे गुरूवार को ग्वालियर के ‘युववाणी’ कार्यक्रम को मध्यप्रदेश के सभी आकाशवाणी केन्द्रों यथा ग्वालियर के साथ भोपाल, रायपुर, जबलपुर एवं छतरपुर से एक साथ प्रसारित किया जाता था। 

                पुरानी रिकार्डिंग होने से आवाज में थोड़ी अस्पष्टता होना स्वाभाविक है।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

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शनिवार, 7 मार्च 2020

काव्य-संग्रह ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ लोकार्पण भाग-2 KAVITA-SANGEET G...



मेरे संग्रह से......

‘‘कविता-संगीत गोष्ठी’’
काव्य-संग्रह ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ लोकार्पण एवं शास्त्री नित्य गोपाल कटारे अभिनंदन समारोह भाग-2
              आज मैं आपके समक्ष 22 वर्ष पूर्व 1 फरवरी, 1998 बसंत पंचमी के अवसर पर प्रखर सांस्कृतिक संस्थान एवं शिव संकल्प साहित्य परिषद, होशंगाबाद (नर्मदापुरम्) के संयुक्त तत्वावधान में श्री दुर्गेश गुप्त ‘राज’ के काव्य-संग्रह ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ का लोकार्पण एवं वरिष्ठ साहित्यकार शास्त्री श्री नित्य गोपाल कटारे जी का अभिनंदन समारोह की रिकार्डिंग के अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ।

            इस कार्यक्रम का भाग-एक, जिसमें विमोचन एवं अभिनंदन की विस्तृत रिकार्डिंग थी, पहले ही प्रस्तुत कर चुका हूँ। ये कार्यक्रम का दूसरा भाग है। कार्यक्रम के इस दूसरे भाग में कविता एवं संगीत गोष्ठी का मिला-जुला आयोजन रखा गया था। इस गोष्ठी का प्रभावपूर्ण संचालन वरिष्ठ साहित्यकार नगरश्री पं. गिरि मोहन गुरु जी द्वारा किया गया था।

           इस गोष्ठी का शुभारंभ शास्त्री नित्य गोपाल कटारे एवं श्री प्रदीप दुबे जी के बसंत पर लिखे हिंदी गीत की संगीतमय प्रस्तुति से हुआ। इसके बाद प्रखर सांस्कृतिक संस्थान के अध्यक्ष श्री प्रवीण दुबे जी द्वारा संगीतमय विरह गीत प्रस्तुत किया। गोष्ठी में भोपाल से पधारे हुए शायर काजिम रजा राही जी द्वारा अपनी श्रेष्ठ रचनाओं का पाठ किया। उनके काव्य-पाठ के उपरांत युवाकवि श्री स्वस्तिक तिवारी ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। इसके बाद पुनः संगीतमय प्रस्तुति के तहत श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा जी द्वारा अपना बांसुरी वादन प्रस्तुत किया। उनके द्वारा बांसुरी पर ‘‘श्याम चले यमुना किराने..’’ पुराने गीत की धुन बांसुरी पर बजाई, जिसे सुनकर श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गये।

           कविता एवं संगीत की इस मिली-जुली गोष्ठी के अगले क्रम में कवि श्री अरविन्द सागर जी द्वारा अपनी कविताएं सुनाईं गई। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए संचालक महोदय द्वारा श्री एन.के. शर्मा जी को आमंत्रित किया, उनके द्वारा एक संगीतमय लोकगीत प्रस्तुत किया गया।

           लोकगीत के बाद श्रीमती गीता गुप्ता का काव्य-पाठ और इसके उपरांत इटारसी से पधारे वरिष्ठ कवि श्री संतोष इंकलाबी जी द्वारा सरस्वती वंदना एवं अपनी लोकप्रिय कविता ‘‘मेला में ठेला’’ श्रोताओं को सुनाई। श्री इंकलाबी जी की रचना पाठ के बाद श्री नवीन दुबे ‘निरंकुश’ द्वारा तुलसीदास जी के ऊपर लिखित अपनी चर्चित कविता का पाठ किया। इन्हें खूब सराहा गया। इसके बाद नगरश्री पं. गिरि मोहन गुरु जी द्वारा अपनी रचनाओं का पाठ किया और अंत श्री प्रदीप दुबे जी द्वारा ‘‘तेरी अठखेलियां तन्हाइयों में याद आती हैं’’ एवं ‘‘चेहरे पर झुर्रियां हैं, आईने पर गर्द है’ गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी गई। इस प्रकार संगीतमय प्रस्तुति के साथ इस कार्यक्रम का समापन हुआ।

            मेरे संग्रह में उपलब्ध कैसेट में गोष्ठी के यही अंश मिल सके। निश्चित है कुछ कवियों की कविताएं छूट गई हों, इसके लिये क्षमा चाहता हूँ।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

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शुक्रवार, 6 मार्च 2020

काव्य-संग्रह ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ का लोकार्पण (भाग-1) KAVITA-SANGRAH...



मेरे संग्रह से......

काव्य-संग्रह ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ का लोकार्पण (भाग-1) 


            आज से 22 वर्ष पूर्व दिनांक 1 फरवरी, 1998 सरस्वती जयंती एवं बसंत पंचमी के अवसर पर माँ नर्मदा-तट के समीप नर्मदानगरी होशंगाबाद में मेरे दूसरे काव्य-संग्रह ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ का विमोचन श्री चन्द्रहास बेहार जी (आयएएस) के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ था। वे प्रखर सांस्कृतिक संस्थान एवं शिव संकल्प साहित्य परिषद् द्वारा संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर संस्कृत एवं हिंदी के विद्वान साहित्यकार शास्त्री नित्य गोपाल कटारे जी का अभिनंदन भी किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री कमलेश सूर्यवंशी जी ने की थी। कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन युवा कवि श्री शिव अनुज बिल्लौरे जी द्वारा किया गया था।
  
            वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस मेरे संग्रह की मुख्य कविता ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ का महत्व मेरे लिये इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस कविता में कश्मीर को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए मैंने लिखा था कि ’’हे कर्णधारो, कश्मीर को हीरोशिमा, नाकासाकी बनने से रोको, देश के एक हिस्से को गलने से रोको....’’ और ये सुखद संयोग ही था कि विगत वर्ष 2 अगस्त, 2019 को जब जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा ‘‘एडवायजरी’’ जारी की गई थी, उस समय मैं बाबा अमरनाथ जी के दर्शन कर वापस श्रीनगर लौट रहा था, और माता वैष्णों देवी के दर्शन के समय दिनांक 5 अगस्त, 2019 को केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को भारत का हिस्सा घोषित करते हुए उसे केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। उसका विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे भारत का अभिन्न अंग घोषित कर दिया गया था। 

           अपनी यादों को सोशल मीडिया से साझा करते हुए मुझे हर्ष हो रहा है, हालांकि इस कार्य में मुझे बहुत श्रम करना पड़ रहा है। मेरी रिकार्ड की हुई कैसेट जाम हो गई हैं, और टेपरिकार्डर भी बंद रहने के कारण जाम पड़े थे। मैंने अपने टेप रिकार्डर में से एक टेपरिकार्डर को चालू किया है और कैसेट को बार-बार रिवाइंड-फास्ट फारवर्ड कर जैसे-तैसे चलने लायक स्थिति में लाकर उसमें कैसेट चला कर कार्यक्रम को कम्प्यूटर में रिकार्ड किया है। इसे मेरा जुनून ही कह लीजिये कि जिस कार्य को दो घंटे में किया जा सकता था, उसे करने में मुझे दो दिन लग रहे हैं। 

         होशंगाबाद में मेरे जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जिससे मैं भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन के आंदोलन को गति दे सका अनुरोध पत्रिका के माध्यम से। इस कार्य में होशंगाबाद के साहित्यकारों एवं पत्रकारों का योगदान मेरे लिये निश्चित ही अविस्मरणीय रहेगा। 

           शिव संकल्प साहित्य परिषद के नगरश्री पं. गिरिमोहन गुरु, शास्त्री नित्यगोपाल कटारे, श्री शिव अनुज बिल्लौरे, श्री प्रेम सोलंकी, डाॅ. रघुनंदन प्रसाद सीठा जी, श्री अमृतलाल जी मालवीय, श्री स्वस्तिक तिवारी, श्री कृष्णस्वरूप शर्मा जी, श्री विनोद मण्डलोई जी, श्री जयदेव वशिष्ठ जी, श्री अशोक मिथलेश जी, श्री ओम प्रकाश यादव, श्री मनोज चौकसे, प्रखर सांस्कृतिक संस्थान के श्री प्रवीण दुबे जी, श्री प्रदीप दुबे जी, श्री अरविंद सागर जी..... और भी बहुत से नाम हैं, जो मेरे वहाँ के जीवन के अभिन्न थे। इस संबंध में मैं अपने अगले लेख में विस्तार से लिखूंगा।

            अभी तो आप इस कार्यक्रम को सुनकर आनंद लें। ये कार्यक्रम का पहला भाग है। दूसरा भाग भी शीघ्र साझा करूंगा, जिसमें काव्य एवं संगीत का मिला-जुला बड़ा ही रोचक कार्यक्रम उस दिन प्रस्तुत किया गया था। उस कार्यक्रम का संचालन किया था नगरश्री पं. गिरिमोहन गुरु जी ने।


-दुर्गेश गुप्त ‘राज’


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बुधवार, 4 मार्च 2020

आकाशवाणी नाटक : अधर में...... ADHAR MAIN - DURGESH GUPT 'RAJ'


मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक : अधर में.... 


            यह नाटक सर्कस के कलाकारों के जीवन पर आधारित नाटक है। इस नाटक में सर्कस कलाकारों के जीवन का यथार्थ चित्रण किया गया है।

           इस नाटक का मुख्य पात्र है विजयन, जो सर्कस में साइकिल पर अपने कर्तव्य दिखाता है। उसके जीवन की व्यथा-कथा का विस्तृत चित्रण करता है यह नाटक अधर में .....।

         यह नाटक दिनांक 24 मई 1992 को आकाशवाणी के इंदौर केन्द्र से प्रसारित किया गया था। इस नाटक के प्रस्तुतकर्ता थे श्री रवीन्द्र राले और कलाकार थे शकील अख्तर, तिलक राज सेठ, रविन्द्र राले, उमेश कुलकर्णी, विजय राय, प्रतिक्षा खोड़गांवकर एवं निम्मी माथुर।

मंगलवार, 3 मार्च 2020

आकाशवाणी काव्य-गोष्ठी : संचालन श्री नीरज पुरी (वर्ष 1994) KAVYA GOSHTHI





मेरे संग्रह से:

आकाशवाणी के बैतूल केन्द्र द्वारा श्री नीरज पुरी जी के संचालन में प्रसारित काव्य-गोष्ठी (वर्ष 1994)

           अपने संग्रह से अब मैं आकाशवाणी के बैतूल केन्द्र से प्रसिद्ध हास्य-कवि श्री नीरज पुरी जी के संचालन में प्रसारित काव्य-गोष्ठी प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस काव्य-गोष्ठी का प्रसारण आकाशवाणी द्वारा वर्ष 1994 में किया गया था। इस गोष्ठी के सहभागी कवि थे श्री दर्द होशंगाबादी, श्री नीरज पुरी, श्री पी. के. पाण्डे, श्री प्रभाकर, श्री अजय दुबे एवं मैं स्वयं दुर्गेश गुप्त ‘राज’काव्य-गोष्ठी का संचालन किया था हास्य कवि श्री नीरज पुरी जी द्वारा।


-दुर्गेश गुप्त ‘राज’


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सोमवार, 2 मार्च 2020

आकाशवाणी काव्य-संध्या : KAVYA SANDHYA (1 JAN 1995)





मेरे संग्रह से:

आकाशवाणी के बैतूल केन्द्र से दिनांक 01 जनवरी, 1995 को प्रसारित काव्य-संध्या

          मैं बैतूल में वर्ष 1993 से 1996 तक रहा। इस दौरान वहाँ के कवि एवं साहित्यकार मित्रों के साथ निरंतर मिलना-जुलना होता रहता था। आकाशवाणी का बैतूल केन्द्र वहाँ नया-नया स्थापित हुआ था। समय-समय पर आकाशवाणी भी कवि-गोष्ठी का आयोजन करता रहता था। उन्हीं काव्य-संध्याओं में से नववर्ष पर प्रसारित एक काव्य-संध्या की रिकार्डिंग अपने संग्रह से प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस गोष्ठी का महत्व मेरे लिये इसलिए भी अधिक बढ़ जाता है, क्यों कि इस गोष्ठी में मुझे देश के प्रख्यात हास्य कवि श्री नीरज पुरी जी एवं मशहूर शायर जनाब दर्द होशंगाबादी जी के साथ काव्यपाठ करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। कवि, साहित्यकार एवं कलाकार हमेशा अमर रहते हैं, चाहे उनका शरीर इस नश्वर संसार में रहे या न रहे। भाई नीरज पुरी जी आज भले से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे अमर हैं और हमेशा अमर रहेंगे।



           इस काव्य-संध्या में श्री काशिव सिद्धिकी, श्री नीरजपुरी, श्री दर्द होशंगाबादी एवं मैं स्वयं दुर्गेश गुप्त ‘राज’ सम्मिलित थे। इस काव्य-संध्या का संचालन किया था आकाशवाणी बैतूल के अधिकारी एवं शायर श्री हसन अहमद जी ने।



-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

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रविवार, 1 मार्च 2020

आकाशवाणी कवि-गोष्ठी KAVI-GOSHTHI (31 JAN, 1984)



अपने संग्रह से:

"आकाशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से दिनांक 31 जनवरी, 1984 को प्रसारित कवि-गोष्ठी"

         अपने संग्रह से 36 वर्ष पूर्व आकाशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से युववाणी कार्यक्रम के तहत प्रसारित कवि-गोष्ठी प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस कवि-गोष्ठी का प्रसारण दिनांक 31 जनवरी, 1984 को युववाणी कार्यक्रम में शाम 5.30 से 6.05 के मध्य किया गया था। इस कवि-गोष्ठी में सहभागी कवि थे सुश्री ऋचा सत्यार्थी, श्री अनिल बांगा, श्री उमाशंकर ‘अश्क’ एवं मैं स्वयं दुर्गेश गुप्त ‘राज’। इस कवि-गोष्ठी का संचालन किया था सुश्री ऋचा सत्यार्थी ने।

       फेसबुक पर देखने से विदित हुआ कि इन कवियों में से कोई डाॅक्टर है तो कोई शिक्षक। मैं स्वयं ‘भारत के नियंत्रक महालेखा-परीक्षा एवं लेखा विभाग’ में ‘‘संभागीय लेखा-अधिकारी’’ के पद पर कार्यरत था और वर्ष 2008 में उक्त पद से ‘स्वैच्छिक सेवा-निवृत्ति’ ले वर्तमान में स्वतंत्र लेखन कर रहा हूँ।


-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

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रविवार, 23 फ़रवरी 2020

यादें रेडियो की.....

यादें रेडियो की.....

मेरा पहला रेडियो नाटक

          बात सन् 1980-83 के आसपास की है। मैं उस समय शिवपुरी में था। यहाँ बहुत ही अच्छा साहित्यिक माहौल था। श्रद्धेय श्री रामकुमार चतुर्वेदी "चंचल",  डा. परशुराम शुक्ल "विरही" एवं श्री विद्यानंदन राजीव जी जैसे मूर्धन्य कवियों के बीच यहाँ का कवितामय परिवेश अपने चरम पर था। आये दिन कवि-गोष्ठियां और सम्मेलन होते रहते थे। इसी समय मेरा पहला कविता-संकलन "आईना चटक गया" वर्ष 1983  प्रकाशित हुआ।

       इस चर्चा को मैं बाद में विस्तार से आगे बढ़ाऊंगा। पहले यहाँ पर मैं अपने आकाशवाणी नाटक लेखन की चर्चा करूँगा।

      मैं छोटे बच्चों के नाटक लिखता था। मैंने रेडियो के लिए भी एक-दो पांडुलिपि लिखीं। कभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तो कभी सरकारी काम से भोपाल आना-जाना लगा रहता था।

     अतः अपनी पांडुलिपि लेकर आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र पहुंचा। उस समय वहाँ सुश्री मीनाक्षी मिश्रा जी नाटक विभाग में कार्यक्रम अधिकारी थीं। मैं उनसे मिला और अपना परिचय देकर अपनी पांडुलिपि उन्हें दिखाई।

    उन्होंने सरसरी दृष्टि पांडुलिपि पर डाली और प्रसन्नता से बोली, मुझे तुम्हारा प्रयास अच्छा लगा। फिर उन्होंने मुझे लगभग आधा घंटे रेडियो नाटक की बारीकियों के बारे में समझाया। साथ ही ये भी कहा, कि पता नहीं मेरे समझाने के बाद भी कोई मेहनत क्यों नहीं करता...।

  मैं उनकी बातों से बहुत प्रभावित हुआ, और उनसे कहकर आया, कि मुझसे आपको निराश नहीं होना पड़ेगा। उनके कहे शब्द अभी भी मेरे कान में कभी-कभी गूंजते हैं।

     और मैंने अपना पहला रेडियो नाटक "भटकने से पहले" लिखा। उस समय मैं ग्वालियर आ गया था, और संयोग से ग्वालियर आकाशवाणी केंद्र पर नाटक विभाग शुरू हो गया था। अतः पांडुलिपि भोपाल की जगह ग्वालियर ही भेजनी पड़ी।

       मेरी पांडुलिपि स्वीकृति हुई और दिनांक 20 जनवरी, 1985 को नाटक का प्रसारण भी हो गया। उस समय वहाँ कार्यक्रम अधिकारी थे श्री लक्ष्मण मंडरवाल जी। इस नाटक के लिए मुझे रुपये 250.00 फीस के रूप में मिले थे।

     संयोग कहें या परिस्थिति, मैं अपने पहले नाटक को सुन नहीं सका। बाद में भी प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सका।

     फिर मैंने उसी पांडुलिपि को विस्तृत विवरण और अनुबंध की प्रति सहित आकाशवाणी के छतरपुर केंद्र भेजा। वहाँ से मेरी पांडुलिपि स्वीकृत हुई और आकाशवाणी छतरपुर द्वारा वहाँ अपने कलाकारों से वह नाटक तैयार कर दिनांक 21 सितंबर, 1986 को प्रसारित किया गया। प्रस्तुतकर्ता थे श्री अरुण दुबे जी। उस समय श्री इलाशंकर गुहा जी वहाँ कार्यक्रम अधिकारी थे। इस नाटक के पुनः प्रसारण की फीस के रूप में मुझे रुपये 62.50 प्राप्त हुए थे।

     इस प्रकार में आकाशवाणी छतरपुर से प्रसारित अपने  पहले नाटक को ग्वालियर में सुन सका और रिकॉर्ड भी किया। जो कि 35 वर्ष बाद मैंने अभी यूट्यूब पर साझा किया है।

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

चेतना सांस्कृतिक संस्था : ‘‘नवपल्लव’’ NAVPALLAV (06APR1991)



अपने संग्रह से .........

आकाशवाणी के खण्डवा केन्द्र से ‘‘नवपल्लव’’ कार्यक्रम के तहत प्रसारित नर्मदानगर, पुनासा की ‘‘चेतना सांस्कृतिक संस्था’’ का मिला-जुला कार्यक्रम

           नौकरी में जगह-जगह स्थानांतरण होने के कारण कई साहित्यकारों एवं कलाकारों से मुलाकात होती रहती थी। वर्ष 1989 में नर्मदा सागर परियोजना के संभाग में नर्मदानगर स्थानांतर हुआ। परियोजना स्थल पर कई विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों से मुलाकात होती रहती थी।

            तभी भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत श्री गिरीश शाह जी से मुलाकात हुई। विदित हुआ कि यहाँ पर वे और उनके कुछ साथी ‘‘चेतना सांस्कृतिक संस्था’’ चलाते हैं। उनके सभी कलाकारों से भेंट हुई और उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर मैंने एक कार्यक्रम की स्क्रिप्ट तैयार कराई। स्क्रिप्ट आकाशवाणी केन्द्र खण्डवा भेजी गई। और आकाशवाणी की टीम ने नर्मदानगर आकर ये कार्यक्रम रिकार्ड किया।

           इस मिलेजुले कार्यक्रम में परिचर्चा, गजल, निमाड़ी लोकगीत एवं कविगोष्ठी सब कुछ है। कार्यक्रम का संचालन श्री गिरीश शाह ने किया था और कविगोष्ठी का संचालन मैंने।

            इस कार्यक्रम का प्रसारण आकाशवाणी के खण्डवा केन्द्र द्वारा दिनांक 6 अप्रैल, 1991 को किया गया। अपने संग्रह से इस कार्यक्रम की रिकार्डिंग आपके समक्ष प्रस्तुत है।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

अपने संग्रह से ......... अपनी बात।

अपने संग्रह से ......... अपनी बात


           मैंने अपने 42 वर्ष में लिखे साहित्य को एक जगह संकलित करने के उद्देश्य से अपना एक ब्लाॅग शुरू किया है। इस ब्लाॅग में अपने जीवनकाल में लिखे, प्रकाशित एवं प्रसारित साहित्य को संकलित करने का कार्य शुरू कर दिया है। 

          इसमें सबसे पहले मैंने अपने संग्रह से आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों द्वारा प्रसारित कहानी, कविता, नाटक एवं झलकियों की रिकार्डिंग को यूट्यूब, ब्लाॅग एवं सोशल मीडिया पर साझा कर रहा हूँ। आकाशवाणी से प्रसारित नाटकों एवं झलकियों को साझा करने का कार्य तो लगभग पूर्ण हो चला है। अब प्रसारित कविता, कहानी एवं गोष्ठियों की रिकार्डिंग को साझा करने की प्रक्रिया निरंतर है।

          पहले आकाशवाणी से प्रसारित कार्यक्रमों को कैसेट में रिकार्ड करना पड़ता था। मैं बहुत ही खुशकिस्मत हूँ कि कैसेट में मेरी रिकार्डिंग लगभग 40 वर्ष बाद भी सुरक्षित है। हाँ कुछ रिकार्डिंग अवश्य मिट गईं है, जैसे मेरा पहला काव्यपाठ जो कि आकाशवाणी ग्वालियर केन्द्र से युववाणी कार्यक्रम के तहत 27 नवंबर, 1980 को प्रसारित हुआ था, मिट गया है। लेकिन बहुत कुछ सुरक्षित है। जो सुरक्षित है उसे टेप-रिकार्डर से कम्प्यूटर से अंतरित कर फिर यूट्यूब के लिये वीडियो बनाने का कार्य कर रहा हूँ।

         मेरा प्रयास है कि जहाँ तक संभव हो सभी तरह का प्रसारित एवं प्रकाशित साहित्य यूट्यूब एवं ब्लाॅग में संरक्षित कर सकूँ। ये मीडिया के ऐसे स्त्रोत हैं, जहाँ पर जब तक मीडिया रहेगा, साहित्य भी संरक्षित रहेगा।

      इसी प्रकार मेरे द्वारा हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन के लिये ‘‘अनुरोध’’ पत्रिका एवं ‘‘अनुरोध’’ वेबसाइट के माध्यम जो भी प्रयास किये गये थे, उन्हें भी इसी प्रकार संरक्षित करूँगा। मैंने हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन के प्रयास का कार्य वर्ष 1989-90 से प्रारंभ किया था। इस कार्य के लिये मैंने कई राष्ट्रीय-स्तर के कार्यक्रम भी आयोजित किये थे। उन कार्यक्रमों के फोटो एवं रिकार्डिंग भी मेरे पास सुरक्षित है। उन्हें भी कम्प्यूटर में संरक्षित करने का कार्य प्रारंभ करूँगा।

        इस अभियान के दौरान मेरे पास प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी और देश एवं विदेश के भाषाप्रेमियों के कई महत्वपूर्ण पत्र संग्रहित हैं, उन्हें में भी स्केन कर मीडिया पर साझा करूँगा।

        आप सबसे भी अनुरोध है कि आप ईश्वर से विनती करें कि मैं इस कार्य को सफलता-पूर्वक पूर्ण कर सकूँ।

         यहाँ एक बात का उल्लेख और करना चाहूँगा, और वह यह कि जब मैंने आकाशवाणी से प्रसारित कहानी, कविता, नाटक एवं झलकियों को यूट्यूब एवं सोशल मीडिया पर साझा करने की सूचना महानिदेशक आकाशवाणी, नई दिल्ली को दी, तो उनके द्वारा भी मेरे इस प्रयास की प्रसन्नता अपने ईमेल द्वारा की गई है।

निवेदक,
दुर्गेश गुप्त ‘‘राज’’
कुछ लिंक:

यूट्यूब     कहानियां    कविताएं     पत्रिका  

  साहित्यकुंज


गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

मेरा पहला आकाशवाणी नाटक : ‘भटकने से पहले’ लेखक : दुर्गेश गुप्त ‘राज’ BHATAKANE SE ...




मेरे संग्रह से.....

मेरा पहला आकाशवाणी नाटक 
‘‘भटकने से पहले’’

यह नाटक एक ऐसे नवयुवक की कहानी है जो विवाह के समय लड़की के चयन को लेकर भटक जाता है। उसे कोई लड़की पसंद ही नहीं आती। फिर उसका दोस्त उसे समझाता है, कि क्यों उसे कोई लड़की पसंद नहीं आ रही। दोस्त के समझाये जाने के पश्चात वह विवाह के लिये तैयार हो जाता है।

विवाह के बाद घटनाक्रम के चलते इस नाटक में दहेज जैसी कुप्रथा का विषय भी गंभीरता से उठाया गया है। विवाह के बाद वह युवक कैसे अपने आप को स्थापित करता है, विस्तार से बताया गया है।

यह नाटक 35 वर्ष पूर्व दिनांक 20 जनवरी, 1985 को आकशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से प्रसारित किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री लक्ष्मण मंडरवाल।

तदोपरांत इसका पुनः प्रसारण दिनांक 21 सितम्बर, 1986 को आकाशवाणी के छतरपुर केन्द्र से किया गया। प्रस्तुतकर्ता थे श्री अरूण दुबे।

यह मेरा पहला रेडिया नाटक था।

आकाशवाणी नाटक ‘परिवर्तन’ लेखक : दुर्गेश गुप्त ‘राज’ RADIO PLAY : PARIV...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक 
‘‘परिवर्तन’’


यह नाटक एक ऐसी माँ की कहानी है, जो पति की मृत्यु के उपरांत सिलाई कर अपने बेटे को पढ़ा-लिखा कर बड़ा अफसर बनाती है। उसकी पढ़ी-लिखी पत्नी भी पति से जिद्द कर नौकरी करने लगती है। पत्नी का आफिस में इस बात को लेकर मजाक उड़ाया जाता है कि बेटे-बहू के नौकरी के बाद भी मां को सिलाई का काम करना पड़ रहा है। पत्नी के कहने पर वह माँ से सिलाई का काम बंद करने को कहता है। इस बात को लेकर माँ-बेटे में बहस हो जाती है। इसी बहस के बीच कहानी आगे बढ़ती है और अंत में सुखद अंत के साथ नाटक समाप्त होता है।

यह नाटक दिनांक 20 अगस्त,2002 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री अजीमुद्दीन।

आकाशवाणी लघुनाटिका: 'सौ रुपये का चक्कर' ले. : दुर्गेश गुप्त ‘‘राज’’ S...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी लघुनाटिका 
‘‘सौ रुपये का चक्कर’’

यह हास्य-झलकी एक कंजूस व्यक्ति के घर उसके दोस्त कैसे चाय-नाश्ता करके आते हैं, उस घटनाक्रम को चित्रित करती है।

इस झलकी का प्रसारण आकाशवाणी के इंदौर केन्द्र से दिनांक 8 जुलाई, 1990 को किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री रवि कुमार सोनी।

आकाशवाणी नाटक: धर्मसंकट RADIO PLAY : DHARAMSANKAT लेखक : दुर्गेश गुप्त...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक 
‘‘धर्मसंकट’’


यह नाटक एक ऐसे युवक की कहानी है, जिसका कुछ समय पहले ही विवाह हुआ होता है। वह आॅफिस में कार्य अधिक होने के कारण अपनी पत्नी को हनीमून पर घुमाने नहीं ले जा पाता। इससे उसकी पत्नी झगड़ा कर अपने मायके चली जाती है। वह परेशान रहने लगता है और अपने दोस्त को भी कभी विवाह न करने की सलाह देता है।

मायके में उसकी माँ अपनी बेटी का पक्ष लेती है और पिता उसे वापस अपने पति के पास लौटने हेतु समझाते हैं। बाद में घटनाक्रम के चलते दोनों फिर मिल जाते हैं। दोनों को समझ में आ जाता है कि पति-पत्नी को समय एवं परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेने चाहिए। अंत में वह अपने दोस्त से भी कहता है कि उसे भी विवाह कर लेना चाहिए, वह समझ चुका है कि पति-पत्नी में ये नोंक-झोंक तो चलती ही रहती है।

यह नाटक दिनांक 13 जून 1995 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री शाकिर अली।

बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी लघुनाटिका : ‘‘कहो जी कैसी रही’’ RADIO PLAY : KAHO JI KAISI RAHI



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी लघुनाटिका 
‘‘कहो जी कैसी रही’’

यह हास्य-झलकी चंदा दे देकर परेशान समाज बंधुओं द्वारा बाहर से चंदा लेने आये समाजसेवियों को बिना चंदा दिये वापस भेजने पर आधारित है। इसके लिये उन्हें एक ब्यूह रचना रचनी पड़ती है, जिससे उन्हें चंदा भी न देना पड़े और उन्हें पता भी न चले। वे उन समाजसेवियों को नाराज भी नहीं करना चाहते थे, क्योंकि उनसे उन्हें आये दिन काम पड़ता रहता था। 
इस झलकी का प्रसारण आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से दिनांक 26 नवबंबर, 2010 को किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री जगदीश अधिकारी।

काव्य-पाठ: दुर्गेश गुप्त ‘‘राज’’ KAVYA PATH : DURGESH GUPT RAJ (18 SEP 1...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी के युववाणी कार्यक्रम में काव्य-पाठ


            आज से करीब 39 वर्ष पूर्व दिनांक 27 नवंबर, 1980 को पहली बार आकाशवाणी के ग्वालियर केद्र से युववाणी कार्यक्रम में काव्य-पाठ प्रारंभ किया था। उसके बाद आकाशवाणी के कहानी-पाठ, काव्य-पाठ, कवि-गोष्ठी आदि कार्यक्रमों में निरंतर सम्मिलित होता रहा।

            अपने संग्रह से निकाल कर यहां प्रस्तुत है दिनांक 18 सितंबर, 1984 को आकाशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से युववाणी कार्यक्रम के तहत प्रसारित काव्य-पाठ।

सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

प्यार किया नहीं जाता (RADIO PLAY - PYAR KIYA NAHIN JATA) WRITER - DURGES...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी झलकी : प्यार किया नहीं जाता

यह हास्य-झलकी कवि-गोष्ठी में एक कवयित्री एवं कवि द्वारा प्यार को लेकर की गई नोंक-झोंक की झलक प्रस्तुत करती है। और कवि-गोष्ठी के अंत में रोचक ढंग से कवयित्री एवं कवि की आपसी प्यार की स्वीकारोक्ति इस झलकी को रोचकता प्रदान करती है।

इस हास्य-झलकी का प्रसारण दिनांक 11 नवंबर 1995 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र द्वारा किया गया। इसके प्रस्तुतकर्ता थे श्री राकेश ढोडियाल।

आकाशवाणी लघुनाटिका - व्यवहार का चक्कर (RADIO PLAY : YVAVAHAR KA CHAKKAR...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी लघुनाटिका : 

"व्यवहार का चक्कर"

            ये झलकी शादी-विवाह, जन्मदिन एवं अन्य उत्सवों में व्यवहार के लेन-देन पर आधारित है। विवाह या जन्मदिन के समय कहाँ से कितना व्यवहार आया था और अब उन्हें कितना व्यवहार देना है, पति-पत्नी की इसी नौंक-झौंक की एक झलक इस लघुनाटिका में प्रस्तुत की गई है।

            इस लघुनाटिका का प्रसारण आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से दिनांक 14 मई 1996 को किया गया था। इसके प्रस्तुतकर्ता थे श्री अजीमुद्दीन।

रविवार, 16 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी नाटक : सौतेली RADIO PLAY : SAUTELI (BROADCAST 24 JUNE 1997)



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक : सौतेली


        यह नाटक सौतेली माँ के कारण एक बच्ची पर क्या मानसिक प्रभाव पड़ता है, को दर्शाता है। यह एक बाल-मनोविज्ञान पर आधारित नाटक है।

        इसमें एक बच्ची अपनी सहेली के ऊपर उसकी सौतेली माँ द्वारा किये जाने वाले अत्याचार से बहुत ही भयभीत हो जाती है और यह सोच-सोचकर बीमार हो जाती है कि यदि उसकी माँ मर गई और उसके यहाँ भी सौतेली माँ आ गई तो क्या वह भी उस पर इतने ही अत्याचार करेगी, जितने उसकी सहेली पर उसकी सौतेली माँ द्वारा किये जाते हैं ? 

        यह नाटक दिनांक 24 जून 1997 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था। इस नाटक को प्रस्तुतकर्ता थे श्री अजीमुद्दीन।

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी नाटक : विध्वंस के द्वार पर RADIO PLAY : VIDDHAWANS KE DWAR PAR


मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक : विध्वंस के द्वार पर


           यह एक विज्ञान-नाटक है। इस नाटक में ए.सी., फ्रिज जैसे शीत उपकरणों से उत्सर्जित होने वाली हानिकारण गैस सी.एफ.सी. (क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन) के कारण होने वाले दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला गया है।

           इस विज्ञान-नाटक का प्रसारण दिनांक 06 अप्रैल 2012 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र द्वारा किया गया था। इसके प्रस्तुतकर्ता थे श्री जगदीश अधिकारी।

आकाशवाणी नाटक : अधर में....




मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक : अधर में.... 

यह नाटक सर्कस के कलाकारों के जीवन पर आधारित नाटक है। इस नाटक में सर्कस कलाकारों के जीवन का यथार्थ चित्रण किया गया है।

इस नाटक का मुख्य पात्र है विजयन, जो सर्कस में साइकिल पर अपने कर्तव्य दिखाता है। उसके जीवन की व्यथा-कथा का विस्तृत चित्रण करता है यह नाटक अधर में .....।

         यह नाटक दिनांक 24 मई 1992 को आकाशवाणी के इंदौर केन्द्र से प्रसारित किया गया था। इस नाटक को प्रस्तुतकर्ता थे श्री रवीन्द्र राले।

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी-नाटक : "समयचक्र"

मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी-नाटक : "समयचक्र"

             इस नाटक में एक ऐसे कर्मचारी की मनोव्यथा का चित्रण किया गया है, जो ईमानदार होता है। लेकिन उसके घर चोरी हो जाने के कारण वह टूट जाता है। उसकी जवान लड़की का संबंध टूट जाता है। अंततः वह समय के बहाव में बहने का निर्णय लेता है।

लेकिन जब वह समय के बहाव में बहना शुरू कर देता है, तो उसका परिवार रास्ते से भटक जाता है। असीमित दौलत पा उसके बच्चे बहक जाते हैं और वह स्वयं गलत आदतों का शिकार हो जाता है।

जब उसकी पत्नी उसे ये सब करने से रोकती है, तब बहुत देर हो चुकी होती है। उसकी लड़की प्रेम में धोका खाने के कारण घर छोड़कर चली जाती है और स्वयं उसे पुलिस रिश्वत के आरोप में  गिरफ्तार कर लेती है।

आप भी इस मार्मिक एवं यथार्थपरक नाटक का आनंद लें।

             यह नाटक दिनांक 14 मार्च 1995 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था। इस नाटक के प्रस्तुतकर्ता थे श्री शाकिर अली।


बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

युवाओं के लिये निवेश का उत्तम विकल्प : म्यूचुअल फंड की एस.आई.पी.

पुराने समय में हमारे बुजुर्ग बचत के लिये तरह-तरह के विकल्प अपनाते थे। सोने में निवेश एवं प्रोपर्टी में निवेश बचत को मुख्य आधार था।

लेकिन वर्तमान में बढ़ती हुई मंहगाई के सामने ये विकल्प इस मंहगाई का सामना करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं। आधुनिक युग में हमें निवेश के ऐसे विकल्प तलाशना आवश्यक है जो कि बढ़ती हुई मंहगाई के सामानांतर लाभ प्रदान कर सकें।

वैसे तो आज बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन मेरी दृष्टि से युवाओं के लिये सबसे अच्छे विकल्प के रूप में पहला विकल्प है, म्यूचुअल फंड में एस. आर्इ. पी. (सिप) के माध्यम से निवेश और दूसरा विकल्प है पी. पी. एफ. में निवेश।

युवाओं को निवेश के लिये इन दोनों विकल्पों का उपयोग करना चाहिए। पहला विकल्प जहाँ उन्हें लम्बी अवधि में अच्छा लाभ प्रदान करेगा, वहीं दूसरा विकल्प उनके लिये पच्चीस वर्ष बाद एक निश्चित आय का स्त्रोत बन सकेगा।

आईये दोनों विकल्पों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं :

1. म्यूचुअल फंड में एस. आई. पी. के माध्यम से निवेश :


आपका सबसे पहला प्रश्न यह होगा कि ये म्यूचुअल फंड एस. आई. पी .(सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) जिसे हम संक्षेप में ‘सिप’ भी कहते हैं, आखिर होता क्या है ?

म्यूचुअल फंड में प्रत्येक माह या एक निश्चित अवधि के अंतराल से एक निश्चित राशि का निवेश ही ‘सिप’ कहलाता है। इसमें लंबी अवधि के लिये किया गया निवेश निश्चित ही लाभप्रद होता है। ये निवेश पांच सौ रूपये से लेकर अधिकतम कितनी भी राशि का हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी शर्त यही है कि एक निश्चित अवधि के अंतराल से एक निश्चित राशि का लंबी अवधि के लिये निवेश। हमारी आय जैसे-जैसे बढ़ती जाये, हमें इसके निवेश में भी उसी अनुसार वृद्धि करते रहना चाहिए।

म्यूचुअल फंड बड़ी-बड़ी कंपनियों एवं बैंकों द्वारा संचालित किये जाते हैं। इसमें शेयर मार्केट में एवं अन्य फंडों में निवेश किया जाता है। इसके लिये उन कंपनियों या बैंकों में फंड मैनेजर नियुक्त होते हैं, जो कि बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार म्यूचुअल फंड पर निगरानी रखते हैं। शेयर मार्केट भी निवेश का एक अच्छा माध्यम हो सकता है, लेकिन इसमें रिस्क अधिक होने से निवेश के लिये लंबे अनुभव की आवश्यकता होती है। 

म्यूचुअल फण्ड की यूनिट का मूल्य भी शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव के अनुसार कम-बढ़ होता रहता है। लेकिन यदि हम म्यूचुअल फंड में ‘सिप’ के माध्यम से निवेश करते हैं तो शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से ये कम ही प्रभावित होते हैं।


इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। माना कि हम सिप के माध्यम से 1000 रुपय का निवेश प्रारंभ करते हैं। हमने जिस म्यूचुअल फंड में निवेश प्रारंभ किया उसके यूनिट का मूल्य 10 रुपये था, तो हमें उस म्यूचुअल फंड के 100 यूनिट मिलेंगे। अब मार्केट अपने उच्चतम स्तर पर है तो निश्चित ही उस म्यूचुअल फंड का मूल्य भी बढ़ेगा, माना कि उसकी यूनिट का मूल्य 11 रुपये है तो हमें 1000 रुपये में 90.90 यूनिट ही मिलेंगे, लेकिन इसके साथ ही हमारे पास उपलब्ध यूनिट का मूल्य भी बढ़ जायेगा। लेकिन यदि शेयर मार्केट अचानक निम्नतम स्तर पर आ जाता है, तो निश्चित है हमारे म्यूचुअल फंड का मूल्य भी कम हो जायेगा। मान लो कि हमारे म्यूचुअल फंड का मूल्य 8 रुपये रह जाता है, तो हमें 1000 रुपये में 125 यूनिट प्राप्त होंगे। इस तरह शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से हमारा निवेश कम ही प्रभावित होता है। इस प्रकार लंबी अवधि में इसमें निवेश हमें अच्छा लाभ देता है ।  

इसके लिये हमें किसी बैंक में डीमेट एकाउंट खोलना होता है। उसी के माध्यम से हम निवेश प्रारंभ कर सकते हैं। अन्यथा इसके लिये हम किसी ऐजेंसी का सहारा भी ले सकते हैं। 

2. पी.पी.एफ. में निवेश : 


             पी.पी.एफ. यानि कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड। इसमें निवेश एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। पी. पी. एफ. एकाउंट किसी भी अधिकृत बैंक में अथवा पोस्ट आॅफिस में खोला जा सकता है। इसमें प्रत्येक वर्ष कम से कम 500 रुपये का निवेश आवश्यक है। इसमें निवेश की अधिकतम सीमा रुपये 150000.00 है। इसमें केन्द्र द्वारा समय-समय पर घोषित दर से ब्याज दिया जाता है। आयकर की धारा-80 सी के तहत इसमें निवेश करमुक्त होने से यह सभी की पसंद बना हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें किये गये निवेश के अतिरिक्त इस पर मिलने वाला ब्याज एवं मेच्योरिटी पर प्राप्त राशि, सभी करमुक्त होती है।

इसका खाता पंद्रह वर्ष के लिये खोला जाता है, जिसे पांच-पांच वर्ष की अवधि के लिये बढ़ाया जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर छै वर्ष उपरांत इसमें अग्रिम/निकासी का भी प्रावधान होता है।

यदि इसमें प्रत्येक वर्ष डेढ़ लाख रुपये का निवेश किया जाता है, तो इसमें पच्चीस वर्ष बाद मिलने वाली राशि लगभग एक करोड़ के आसपास हो जाती है। इसीलिये इसे सेवानिवृत्त के उपरांत मिलने वाले लाभों के लिये एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
-दुर्गेश कुमार गुप्ता 
(एडवोकेट एवं वित्तीय परामर्शक)