मंगलवार, 31 मार्च 2020

एक अनुरोध/एक चेतावनी

"एक अनुरोध/एक चेतावनी"

न बरछी, न तलवार
न बंदूक की गोली, न तोप का गोला
न परमाणु बम, न रसायन बम
न विषकन्या, न जासूस

एक अतिसूक्ष्म जीव
कोरोना वायरस

जिसने महाशक्ति की स्पर्धा में
दौड़ते-भागते देशों को ही नहीं
बल्कि/संपूर्ण विश्व के
राजनेताओं और वैज्ञानिकों को
झकझोर कर रख दिया है

हे मानव अब तो संभल

तुझे पृथ्वी पर
पृथ्वी के लिए
सृष्टि ने रच कर भेजा है
उसे सजा-संवार

छोड़ दे अन्य ग्रहों की भाग-दौड़
छोड़ दे/जन्म-मृत्यु की दूरी नापना
छोड़ दे देखना
महाशक्ति बनने का स्वप्न

सोच
कैसे एक सूक्ष्म वायरस ने
विश्व को हिला कर रख दिया है

इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता
कि उसकी सृष्टि
मानव से हुई
या किसी जीव से

लेकिन ये कटुसत्य है
कि तुझे
तेरे बौनेपन का अहसास कराने
तुझे संभल जाने का एक और अवसर
उस सृजनकर्ता ने तुझे दिया है

यदि तू अभी भी न संभला
तो भविष्य में/इस प्रकृति को ही
सबकुछ संभालना होगा।

-दुर्गेश गुप्त 'राज'

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