रविवार, 23 फ़रवरी 2020

यादें रेडियो की.....

यादें रेडियो की.....

मेरा पहला रेडियो नाटक

          बात सन् 1980-83 के आसपास की है। मैं उस समय शिवपुरी में था। यहाँ बहुत ही अच्छा साहित्यिक माहौल था। श्रद्धेय श्री रामकुमार चतुर्वेदी "चंचल",  डा. परशुराम शुक्ल "विरही" एवं श्री विद्यानंदन राजीव जी जैसे मूर्धन्य कवियों के बीच यहाँ का कवितामय परिवेश अपने चरम पर था। आये दिन कवि-गोष्ठियां और सम्मेलन होते रहते थे। इसी समय मेरा पहला कविता-संकलन "आईना चटक गया" वर्ष 1983  प्रकाशित हुआ।

       इस चर्चा को मैं बाद में विस्तार से आगे बढ़ाऊंगा। पहले यहाँ पर मैं अपने आकाशवाणी नाटक लेखन की चर्चा करूँगा।

      मैं छोटे बच्चों के नाटक लिखता था। मैंने रेडियो के लिए भी एक-दो पांडुलिपि लिखीं। कभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तो कभी सरकारी काम से भोपाल आना-जाना लगा रहता था।

     अतः अपनी पांडुलिपि लेकर आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र पहुंचा। उस समय वहाँ सुश्री मीनाक्षी मिश्रा जी नाटक विभाग में कार्यक्रम अधिकारी थीं। मैं उनसे मिला और अपना परिचय देकर अपनी पांडुलिपि उन्हें दिखाई।

    उन्होंने सरसरी दृष्टि पांडुलिपि पर डाली और प्रसन्नता से बोली, मुझे तुम्हारा प्रयास अच्छा लगा। फिर उन्होंने मुझे लगभग आधा घंटे रेडियो नाटक की बारीकियों के बारे में समझाया। साथ ही ये भी कहा, कि पता नहीं मेरे समझाने के बाद भी कोई मेहनत क्यों नहीं करता...।

  मैं उनकी बातों से बहुत प्रभावित हुआ, और उनसे कहकर आया, कि मुझसे आपको निराश नहीं होना पड़ेगा। उनके कहे शब्द अभी भी मेरे कान में कभी-कभी गूंजते हैं।

     और मैंने अपना पहला रेडियो नाटक "भटकने से पहले" लिखा। उस समय मैं ग्वालियर आ गया था, और संयोग से ग्वालियर आकाशवाणी केंद्र पर नाटक विभाग शुरू हो गया था। अतः पांडुलिपि भोपाल की जगह ग्वालियर ही भेजनी पड़ी।

       मेरी पांडुलिपि स्वीकृति हुई और दिनांक 20 जनवरी, 1985 को नाटक का प्रसारण भी हो गया। उस समय वहाँ कार्यक्रम अधिकारी थे श्री लक्ष्मण मंडरवाल जी। इस नाटक के लिए मुझे रुपये 250.00 फीस के रूप में मिले थे।

     संयोग कहें या परिस्थिति, मैं अपने पहले नाटक को सुन नहीं सका। बाद में भी प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सका।

     फिर मैंने उसी पांडुलिपि को विस्तृत विवरण और अनुबंध की प्रति सहित आकाशवाणी के छतरपुर केंद्र भेजा। वहाँ से मेरी पांडुलिपि स्वीकृत हुई और आकाशवाणी छतरपुर द्वारा वहाँ अपने कलाकारों से वह नाटक तैयार कर दिनांक 21 सितंबर, 1986 को प्रसारित किया गया। प्रस्तुतकर्ता थे श्री अरुण दुबे जी। उस समय श्री इलाशंकर गुहा जी वहाँ कार्यक्रम अधिकारी थे। इस नाटक के पुनः प्रसारण की फीस के रूप में मुझे रुपये 62.50 प्राप्त हुए थे।

     इस प्रकार में आकाशवाणी छतरपुर से प्रसारित अपने  पहले नाटक को ग्वालियर में सुन सका और रिकॉर्ड भी किया। जो कि 35 वर्ष बाद मैंने अभी यूट्यूब पर साझा किया है।

शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

चेतना सांस्कृतिक संस्था : ‘‘नवपल्लव’’ NAVPALLAV (06APR1991)



अपने संग्रह से .........

आकाशवाणी के खण्डवा केन्द्र से ‘‘नवपल्लव’’ कार्यक्रम के तहत प्रसारित नर्मदानगर, पुनासा की ‘‘चेतना सांस्कृतिक संस्था’’ का मिला-जुला कार्यक्रम

           नौकरी में जगह-जगह स्थानांतरण होने के कारण कई साहित्यकारों एवं कलाकारों से मुलाकात होती रहती थी। वर्ष 1989 में नर्मदा सागर परियोजना के संभाग में नर्मदानगर स्थानांतर हुआ। परियोजना स्थल पर कई विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों से मुलाकात होती रहती थी।

            तभी भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत श्री गिरीश शाह जी से मुलाकात हुई। विदित हुआ कि यहाँ पर वे और उनके कुछ साथी ‘‘चेतना सांस्कृतिक संस्था’’ चलाते हैं। उनके सभी कलाकारों से भेंट हुई और उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर मैंने एक कार्यक्रम की स्क्रिप्ट तैयार कराई। स्क्रिप्ट आकाशवाणी केन्द्र खण्डवा भेजी गई। और आकाशवाणी की टीम ने नर्मदानगर आकर ये कार्यक्रम रिकार्ड किया।

           इस मिलेजुले कार्यक्रम में परिचर्चा, गजल, निमाड़ी लोकगीत एवं कविगोष्ठी सब कुछ है। कार्यक्रम का संचालन श्री गिरीश शाह ने किया था और कविगोष्ठी का संचालन मैंने।

            इस कार्यक्रम का प्रसारण आकाशवाणी के खण्डवा केन्द्र द्वारा दिनांक 6 अप्रैल, 1991 को किया गया। अपने संग्रह से इस कार्यक्रम की रिकार्डिंग आपके समक्ष प्रस्तुत है।

-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

अपने संग्रह से ......... अपनी बात।

अपने संग्रह से ......... अपनी बात


           मैंने अपने 42 वर्ष में लिखे साहित्य को एक जगह संकलित करने के उद्देश्य से अपना एक ब्लाॅग शुरू किया है। इस ब्लाॅग में अपने जीवनकाल में लिखे, प्रकाशित एवं प्रसारित साहित्य को संकलित करने का कार्य शुरू कर दिया है। 

          इसमें सबसे पहले मैंने अपने संग्रह से आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों द्वारा प्रसारित कहानी, कविता, नाटक एवं झलकियों की रिकार्डिंग को यूट्यूब, ब्लाॅग एवं सोशल मीडिया पर साझा कर रहा हूँ। आकाशवाणी से प्रसारित नाटकों एवं झलकियों को साझा करने का कार्य तो लगभग पूर्ण हो चला है। अब प्रसारित कविता, कहानी एवं गोष्ठियों की रिकार्डिंग को साझा करने की प्रक्रिया निरंतर है।

          पहले आकाशवाणी से प्रसारित कार्यक्रमों को कैसेट में रिकार्ड करना पड़ता था। मैं बहुत ही खुशकिस्मत हूँ कि कैसेट में मेरी रिकार्डिंग लगभग 40 वर्ष बाद भी सुरक्षित है। हाँ कुछ रिकार्डिंग अवश्य मिट गईं है, जैसे मेरा पहला काव्यपाठ जो कि आकाशवाणी ग्वालियर केन्द्र से युववाणी कार्यक्रम के तहत 27 नवंबर, 1980 को प्रसारित हुआ था, मिट गया है। लेकिन बहुत कुछ सुरक्षित है। जो सुरक्षित है उसे टेप-रिकार्डर से कम्प्यूटर से अंतरित कर फिर यूट्यूब के लिये वीडियो बनाने का कार्य कर रहा हूँ।

         मेरा प्रयास है कि जहाँ तक संभव हो सभी तरह का प्रसारित एवं प्रकाशित साहित्य यूट्यूब एवं ब्लाॅग में संरक्षित कर सकूँ। ये मीडिया के ऐसे स्त्रोत हैं, जहाँ पर जब तक मीडिया रहेगा, साहित्य भी संरक्षित रहेगा।

      इसी प्रकार मेरे द्वारा हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन के लिये ‘‘अनुरोध’’ पत्रिका एवं ‘‘अनुरोध’’ वेबसाइट के माध्यम जो भी प्रयास किये गये थे, उन्हें भी इसी प्रकार संरक्षित करूँगा। मैंने हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन के प्रयास का कार्य वर्ष 1989-90 से प्रारंभ किया था। इस कार्य के लिये मैंने कई राष्ट्रीय-स्तर के कार्यक्रम भी आयोजित किये थे। उन कार्यक्रमों के फोटो एवं रिकार्डिंग भी मेरे पास सुरक्षित है। उन्हें भी कम्प्यूटर में संरक्षित करने का कार्य प्रारंभ करूँगा।

        इस अभियान के दौरान मेरे पास प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी और देश एवं विदेश के भाषाप्रेमियों के कई महत्वपूर्ण पत्र संग्रहित हैं, उन्हें में भी स्केन कर मीडिया पर साझा करूँगा।

        आप सबसे भी अनुरोध है कि आप ईश्वर से विनती करें कि मैं इस कार्य को सफलता-पूर्वक पूर्ण कर सकूँ।

         यहाँ एक बात का उल्लेख और करना चाहूँगा, और वह यह कि जब मैंने आकाशवाणी से प्रसारित कहानी, कविता, नाटक एवं झलकियों को यूट्यूब एवं सोशल मीडिया पर साझा करने की सूचना महानिदेशक आकाशवाणी, नई दिल्ली को दी, तो उनके द्वारा भी मेरे इस प्रयास की प्रसन्नता अपने ईमेल द्वारा की गई है।

निवेदक,
दुर्गेश गुप्त ‘‘राज’’
कुछ लिंक:

यूट्यूब     कहानियां    कविताएं     पत्रिका  

  साहित्यकुंज


गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

मेरा पहला आकाशवाणी नाटक : ‘भटकने से पहले’ लेखक : दुर्गेश गुप्त ‘राज’ BHATAKANE SE ...




मेरे संग्रह से.....

मेरा पहला आकाशवाणी नाटक 
‘‘भटकने से पहले’’

यह नाटक एक ऐसे नवयुवक की कहानी है जो विवाह के समय लड़की के चयन को लेकर भटक जाता है। उसे कोई लड़की पसंद ही नहीं आती। फिर उसका दोस्त उसे समझाता है, कि क्यों उसे कोई लड़की पसंद नहीं आ रही। दोस्त के समझाये जाने के पश्चात वह विवाह के लिये तैयार हो जाता है।

विवाह के बाद घटनाक्रम के चलते इस नाटक में दहेज जैसी कुप्रथा का विषय भी गंभीरता से उठाया गया है। विवाह के बाद वह युवक कैसे अपने आप को स्थापित करता है, विस्तार से बताया गया है।

यह नाटक 35 वर्ष पूर्व दिनांक 20 जनवरी, 1985 को आकशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से प्रसारित किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री लक्ष्मण मंडरवाल।

तदोपरांत इसका पुनः प्रसारण दिनांक 21 सितम्बर, 1986 को आकाशवाणी के छतरपुर केन्द्र से किया गया। प्रस्तुतकर्ता थे श्री अरूण दुबे।

यह मेरा पहला रेडिया नाटक था।

आकाशवाणी नाटक ‘परिवर्तन’ लेखक : दुर्गेश गुप्त ‘राज’ RADIO PLAY : PARIV...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक 
‘‘परिवर्तन’’


यह नाटक एक ऐसी माँ की कहानी है, जो पति की मृत्यु के उपरांत सिलाई कर अपने बेटे को पढ़ा-लिखा कर बड़ा अफसर बनाती है। उसकी पढ़ी-लिखी पत्नी भी पति से जिद्द कर नौकरी करने लगती है। पत्नी का आफिस में इस बात को लेकर मजाक उड़ाया जाता है कि बेटे-बहू के नौकरी के बाद भी मां को सिलाई का काम करना पड़ रहा है। पत्नी के कहने पर वह माँ से सिलाई का काम बंद करने को कहता है। इस बात को लेकर माँ-बेटे में बहस हो जाती है। इसी बहस के बीच कहानी आगे बढ़ती है और अंत में सुखद अंत के साथ नाटक समाप्त होता है।

यह नाटक दिनांक 20 अगस्त,2002 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री अजीमुद्दीन।

आकाशवाणी लघुनाटिका: 'सौ रुपये का चक्कर' ले. : दुर्गेश गुप्त ‘‘राज’’ S...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी लघुनाटिका 
‘‘सौ रुपये का चक्कर’’

यह हास्य-झलकी एक कंजूस व्यक्ति के घर उसके दोस्त कैसे चाय-नाश्ता करके आते हैं, उस घटनाक्रम को चित्रित करती है।

इस झलकी का प्रसारण आकाशवाणी के इंदौर केन्द्र से दिनांक 8 जुलाई, 1990 को किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री रवि कुमार सोनी।

आकाशवाणी नाटक: धर्मसंकट RADIO PLAY : DHARAMSANKAT लेखक : दुर्गेश गुप्त...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक 
‘‘धर्मसंकट’’


यह नाटक एक ऐसे युवक की कहानी है, जिसका कुछ समय पहले ही विवाह हुआ होता है। वह आॅफिस में कार्य अधिक होने के कारण अपनी पत्नी को हनीमून पर घुमाने नहीं ले जा पाता। इससे उसकी पत्नी झगड़ा कर अपने मायके चली जाती है। वह परेशान रहने लगता है और अपने दोस्त को भी कभी विवाह न करने की सलाह देता है।

मायके में उसकी माँ अपनी बेटी का पक्ष लेती है और पिता उसे वापस अपने पति के पास लौटने हेतु समझाते हैं। बाद में घटनाक्रम के चलते दोनों फिर मिल जाते हैं। दोनों को समझ में आ जाता है कि पति-पत्नी को समय एवं परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेने चाहिए। अंत में वह अपने दोस्त से भी कहता है कि उसे भी विवाह कर लेना चाहिए, वह समझ चुका है कि पति-पत्नी में ये नोंक-झोंक तो चलती ही रहती है।

यह नाटक दिनांक 13 जून 1995 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री शाकिर अली।

बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी लघुनाटिका : ‘‘कहो जी कैसी रही’’ RADIO PLAY : KAHO JI KAISI RAHI



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी लघुनाटिका 
‘‘कहो जी कैसी रही’’

यह हास्य-झलकी चंदा दे देकर परेशान समाज बंधुओं द्वारा बाहर से चंदा लेने आये समाजसेवियों को बिना चंदा दिये वापस भेजने पर आधारित है। इसके लिये उन्हें एक ब्यूह रचना रचनी पड़ती है, जिससे उन्हें चंदा भी न देना पड़े और उन्हें पता भी न चले। वे उन समाजसेवियों को नाराज भी नहीं करना चाहते थे, क्योंकि उनसे उन्हें आये दिन काम पड़ता रहता था। 
इस झलकी का प्रसारण आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से दिनांक 26 नवबंबर, 2010 को किया गया था।  प्रस्तुतकर्ता थे श्री जगदीश अधिकारी।

काव्य-पाठ: दुर्गेश गुप्त ‘‘राज’’ KAVYA PATH : DURGESH GUPT RAJ (18 SEP 1...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी के युववाणी कार्यक्रम में काव्य-पाठ


            आज से करीब 39 वर्ष पूर्व दिनांक 27 नवंबर, 1980 को पहली बार आकाशवाणी के ग्वालियर केद्र से युववाणी कार्यक्रम में काव्य-पाठ प्रारंभ किया था। उसके बाद आकाशवाणी के कहानी-पाठ, काव्य-पाठ, कवि-गोष्ठी आदि कार्यक्रमों में निरंतर सम्मिलित होता रहा।

            अपने संग्रह से निकाल कर यहां प्रस्तुत है दिनांक 18 सितंबर, 1984 को आकाशवाणी के ग्वालियर केन्द्र से युववाणी कार्यक्रम के तहत प्रसारित काव्य-पाठ।

सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

प्यार किया नहीं जाता (RADIO PLAY - PYAR KIYA NAHIN JATA) WRITER - DURGES...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी झलकी : प्यार किया नहीं जाता

यह हास्य-झलकी कवि-गोष्ठी में एक कवयित्री एवं कवि द्वारा प्यार को लेकर की गई नोंक-झोंक की झलक प्रस्तुत करती है। और कवि-गोष्ठी के अंत में रोचक ढंग से कवयित्री एवं कवि की आपसी प्यार की स्वीकारोक्ति इस झलकी को रोचकता प्रदान करती है।

इस हास्य-झलकी का प्रसारण दिनांक 11 नवंबर 1995 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र द्वारा किया गया। इसके प्रस्तुतकर्ता थे श्री राकेश ढोडियाल।

आकाशवाणी लघुनाटिका - व्यवहार का चक्कर (RADIO PLAY : YVAVAHAR KA CHAKKAR...



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी लघुनाटिका : 

"व्यवहार का चक्कर"

            ये झलकी शादी-विवाह, जन्मदिन एवं अन्य उत्सवों में व्यवहार के लेन-देन पर आधारित है। विवाह या जन्मदिन के समय कहाँ से कितना व्यवहार आया था और अब उन्हें कितना व्यवहार देना है, पति-पत्नी की इसी नौंक-झौंक की एक झलक इस लघुनाटिका में प्रस्तुत की गई है।

            इस लघुनाटिका का प्रसारण आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से दिनांक 14 मई 1996 को किया गया था। इसके प्रस्तुतकर्ता थे श्री अजीमुद्दीन।

रविवार, 16 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी नाटक : सौतेली RADIO PLAY : SAUTELI (BROADCAST 24 JUNE 1997)



मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक : सौतेली


        यह नाटक सौतेली माँ के कारण एक बच्ची पर क्या मानसिक प्रभाव पड़ता है, को दर्शाता है। यह एक बाल-मनोविज्ञान पर आधारित नाटक है।

        इसमें एक बच्ची अपनी सहेली के ऊपर उसकी सौतेली माँ द्वारा किये जाने वाले अत्याचार से बहुत ही भयभीत हो जाती है और यह सोच-सोचकर बीमार हो जाती है कि यदि उसकी माँ मर गई और उसके यहाँ भी सौतेली माँ आ गई तो क्या वह भी उस पर इतने ही अत्याचार करेगी, जितने उसकी सहेली पर उसकी सौतेली माँ द्वारा किये जाते हैं ? 

        यह नाटक दिनांक 24 जून 1997 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था। इस नाटक को प्रस्तुतकर्ता थे श्री अजीमुद्दीन।

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी नाटक : विध्वंस के द्वार पर RADIO PLAY : VIDDHAWANS KE DWAR PAR


मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक : विध्वंस के द्वार पर


           यह एक विज्ञान-नाटक है। इस नाटक में ए.सी., फ्रिज जैसे शीत उपकरणों से उत्सर्जित होने वाली हानिकारण गैस सी.एफ.सी. (क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन) के कारण होने वाले दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला गया है।

           इस विज्ञान-नाटक का प्रसारण दिनांक 06 अप्रैल 2012 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र द्वारा किया गया था। इसके प्रस्तुतकर्ता थे श्री जगदीश अधिकारी।

आकाशवाणी नाटक : अधर में....




मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी नाटक : अधर में.... 

यह नाटक सर्कस के कलाकारों के जीवन पर आधारित नाटक है। इस नाटक में सर्कस कलाकारों के जीवन का यथार्थ चित्रण किया गया है।

इस नाटक का मुख्य पात्र है विजयन, जो सर्कस में साइकिल पर अपने कर्तव्य दिखाता है। उसके जीवन की व्यथा-कथा का विस्तृत चित्रण करता है यह नाटक अधर में .....।

         यह नाटक दिनांक 24 मई 1992 को आकाशवाणी के इंदौर केन्द्र से प्रसारित किया गया था। इस नाटक को प्रस्तुतकर्ता थे श्री रवीन्द्र राले।

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी-नाटक : "समयचक्र"

मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी-नाटक : "समयचक्र"

             इस नाटक में एक ऐसे कर्मचारी की मनोव्यथा का चित्रण किया गया है, जो ईमानदार होता है। लेकिन उसके घर चोरी हो जाने के कारण वह टूट जाता है। उसकी जवान लड़की का संबंध टूट जाता है। अंततः वह समय के बहाव में बहने का निर्णय लेता है।

लेकिन जब वह समय के बहाव में बहना शुरू कर देता है, तो उसका परिवार रास्ते से भटक जाता है। असीमित दौलत पा उसके बच्चे बहक जाते हैं और वह स्वयं गलत आदतों का शिकार हो जाता है।

जब उसकी पत्नी उसे ये सब करने से रोकती है, तब बहुत देर हो चुकी होती है। उसकी लड़की प्रेम में धोका खाने के कारण घर छोड़कर चली जाती है और स्वयं उसे पुलिस रिश्वत के आरोप में  गिरफ्तार कर लेती है।

आप भी इस मार्मिक एवं यथार्थपरक नाटक का आनंद लें।

             यह नाटक दिनांक 14 मार्च 1995 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था। इस नाटक के प्रस्तुतकर्ता थे श्री शाकिर अली।


बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

युवाओं के लिये निवेश का उत्तम विकल्प : म्यूचुअल फंड की एस.आई.पी.

पुराने समय में हमारे बुजुर्ग बचत के लिये तरह-तरह के विकल्प अपनाते थे। सोने में निवेश एवं प्रोपर्टी में निवेश बचत को मुख्य आधार था।

लेकिन वर्तमान में बढ़ती हुई मंहगाई के सामने ये विकल्प इस मंहगाई का सामना करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं। आधुनिक युग में हमें निवेश के ऐसे विकल्प तलाशना आवश्यक है जो कि बढ़ती हुई मंहगाई के सामानांतर लाभ प्रदान कर सकें।

वैसे तो आज बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन मेरी दृष्टि से युवाओं के लिये सबसे अच्छे विकल्प के रूप में पहला विकल्प है, म्यूचुअल फंड में एस. आर्इ. पी. (सिप) के माध्यम से निवेश और दूसरा विकल्प है पी. पी. एफ. में निवेश।

युवाओं को निवेश के लिये इन दोनों विकल्पों का उपयोग करना चाहिए। पहला विकल्प जहाँ उन्हें लम्बी अवधि में अच्छा लाभ प्रदान करेगा, वहीं दूसरा विकल्प उनके लिये पच्चीस वर्ष बाद एक निश्चित आय का स्त्रोत बन सकेगा।

आईये दोनों विकल्पों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं :

1. म्यूचुअल फंड में एस. आई. पी. के माध्यम से निवेश :


आपका सबसे पहला प्रश्न यह होगा कि ये म्यूचुअल फंड एस. आई. पी .(सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) जिसे हम संक्षेप में ‘सिप’ भी कहते हैं, आखिर होता क्या है ?

म्यूचुअल फंड में प्रत्येक माह या एक निश्चित अवधि के अंतराल से एक निश्चित राशि का निवेश ही ‘सिप’ कहलाता है। इसमें लंबी अवधि के लिये किया गया निवेश निश्चित ही लाभप्रद होता है। ये निवेश पांच सौ रूपये से लेकर अधिकतम कितनी भी राशि का हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी शर्त यही है कि एक निश्चित अवधि के अंतराल से एक निश्चित राशि का लंबी अवधि के लिये निवेश। हमारी आय जैसे-जैसे बढ़ती जाये, हमें इसके निवेश में भी उसी अनुसार वृद्धि करते रहना चाहिए।

म्यूचुअल फंड बड़ी-बड़ी कंपनियों एवं बैंकों द्वारा संचालित किये जाते हैं। इसमें शेयर मार्केट में एवं अन्य फंडों में निवेश किया जाता है। इसके लिये उन कंपनियों या बैंकों में फंड मैनेजर नियुक्त होते हैं, जो कि बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार म्यूचुअल फंड पर निगरानी रखते हैं। शेयर मार्केट भी निवेश का एक अच्छा माध्यम हो सकता है, लेकिन इसमें रिस्क अधिक होने से निवेश के लिये लंबे अनुभव की आवश्यकता होती है। 

म्यूचुअल फण्ड की यूनिट का मूल्य भी शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव के अनुसार कम-बढ़ होता रहता है। लेकिन यदि हम म्यूचुअल फंड में ‘सिप’ के माध्यम से निवेश करते हैं तो शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से ये कम ही प्रभावित होते हैं।


इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। माना कि हम सिप के माध्यम से 1000 रुपय का निवेश प्रारंभ करते हैं। हमने जिस म्यूचुअल फंड में निवेश प्रारंभ किया उसके यूनिट का मूल्य 10 रुपये था, तो हमें उस म्यूचुअल फंड के 100 यूनिट मिलेंगे। अब मार्केट अपने उच्चतम स्तर पर है तो निश्चित ही उस म्यूचुअल फंड का मूल्य भी बढ़ेगा, माना कि उसकी यूनिट का मूल्य 11 रुपये है तो हमें 1000 रुपये में 90.90 यूनिट ही मिलेंगे, लेकिन इसके साथ ही हमारे पास उपलब्ध यूनिट का मूल्य भी बढ़ जायेगा। लेकिन यदि शेयर मार्केट अचानक निम्नतम स्तर पर आ जाता है, तो निश्चित है हमारे म्यूचुअल फंड का मूल्य भी कम हो जायेगा। मान लो कि हमारे म्यूचुअल फंड का मूल्य 8 रुपये रह जाता है, तो हमें 1000 रुपये में 125 यूनिट प्राप्त होंगे। इस तरह शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से हमारा निवेश कम ही प्रभावित होता है। इस प्रकार लंबी अवधि में इसमें निवेश हमें अच्छा लाभ देता है ।  

इसके लिये हमें किसी बैंक में डीमेट एकाउंट खोलना होता है। उसी के माध्यम से हम निवेश प्रारंभ कर सकते हैं। अन्यथा इसके लिये हम किसी ऐजेंसी का सहारा भी ले सकते हैं। 

2. पी.पी.एफ. में निवेश : 


             पी.पी.एफ. यानि कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड। इसमें निवेश एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। पी. पी. एफ. एकाउंट किसी भी अधिकृत बैंक में अथवा पोस्ट आॅफिस में खोला जा सकता है। इसमें प्रत्येक वर्ष कम से कम 500 रुपये का निवेश आवश्यक है। इसमें निवेश की अधिकतम सीमा रुपये 150000.00 है। इसमें केन्द्र द्वारा समय-समय पर घोषित दर से ब्याज दिया जाता है। आयकर की धारा-80 सी के तहत इसमें निवेश करमुक्त होने से यह सभी की पसंद बना हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें किये गये निवेश के अतिरिक्त इस पर मिलने वाला ब्याज एवं मेच्योरिटी पर प्राप्त राशि, सभी करमुक्त होती है।

इसका खाता पंद्रह वर्ष के लिये खोला जाता है, जिसे पांच-पांच वर्ष की अवधि के लिये बढ़ाया जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर छै वर्ष उपरांत इसमें अग्रिम/निकासी का भी प्रावधान होता है।

यदि इसमें प्रत्येक वर्ष डेढ़ लाख रुपये का निवेश किया जाता है, तो इसमें पच्चीस वर्ष बाद मिलने वाली राशि लगभग एक करोड़ के आसपास हो जाती है। इसीलिये इसे सेवानिवृत्त के उपरांत मिलने वाले लाभों के लिये एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
-दुर्गेश कुमार गुप्ता 
(एडवोकेट एवं वित्तीय परामर्शक)

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

क्या आप वाहन क्रय करने जा रहे हैं....

         वाहन क्रय करना हर किसी का स्वप्न होता है, चाहे वह दो पहिया वाहन हो या चार पहिया वाहन।

        मैंने अभी नवंबर 2019 में एक मोटरसाइकिल क्रय की थी। विक्रेता द्वारा मुझे एस्टीमेट दिया गया, उसमें वाहन की कीमत, आरटीओ, इंश्योरेंस एवं एसेसरीज की राशि का वर्णन था।

         नये नियमों के तहत पांच वर्ष का इंश्योरेंस करके दिया जा रहा था। उसमें एक वर्ष का फर्स्ट पार्टी एवं चार वर्ष का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस रुपये 5080.00 में करके दिया जा रहा था।

        मैंने उनसे शेष चार वर्षों का भी फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस करने का अनुरोध किया। इसके लिए उन्होंने रुपये 2000.00 की अतिरिक्त मांग की। मैंने इस राशि को सम्मिलित कर चैक उन्हें दे दिया।

        उन्होंने पालिसी की प्रिंट कापी और बिल एक लिफाफे में रख मुझे सौंप दिया। मैंने उस समय पालिसी एवं बिल पर एक सरसरी दृष्टि डाली और घर आकर पेपर्स संभाल कर रख दिये।

        दो माह बाद जब रजिस्ट्रेशन कार्ड लेने मुझे बुलाया गया, तो मैंने पालिसी की ओरिजनल कापी की मांग की। मुझे संबंधित कर्मचारी द्वारा बताया गया कि पालिसी की वही प्रिंट कापी मिलेगी। मैंने उनसे पालिसी मेल पर भेजने का निवेदन किया, ताकि भविष्य में कभी आवश्यक हो, उसका प्रिंट निकाला जा सके।

           घर आकर जब मैंने मेल पर पालिसी चैक की तो पता चला कि पालिसी में राशि रुपये 6255.00 अंकित थी। मैंने देखा कि पालिसी में पर्सनल एक्सीडेंट (PA) भी पांच वर्ष के स्थान पर एक वर्ष का था।

        दूसरे दिन जब मैं शोरूम गया, और संबंधित कर्मचारी को ये सब बताया तो उसने मोबाइल पर अपने वरिष्ठ अधिकारी से बात कराई। वह सफाई देने लगा कि साहब हम एक वर्ष का पर्सनल एक्सीडेंट का बीमा अनिवार्य होने से, कराते हैं। जब मैंने जमा की गई राशि और पालिसी की राशि के अंतर के बारे में बताया तो उसने अपने अधिनस्थ कर्मचारी को रुपये 825.00 वापस करने के निर्देश दिये। मैं सोच रहा था कि यदि मैं ध्यान नहीं देता, तो मुझे ये चूना तो लग ही गया होता।

         आरटीओ के खर्च में भी एजेंट के खर्च आदि राशि हमसे वसूल की जा रही है, जिसके बारे में मैं पृथक से जानकारी एकत्रित कर कार्रवाई कर रहा हूँ।
 
          अतः यहाँ मैं आपको अपने अनुभव के आधार पर वाहन खरीदते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में अवगत करा रहा हूँ :

1.     आप वाहन खरीदने से पहले, यदि आपके शहर में दो-तीन विक्रेता हों तो उनसे उस वाहन के, जो आप खरीदना चाहते हैं, उसके कोटेशन प्राप्त करें। कोटेशन प्राप्त करते समय उनसे आप उनके द्वारा दी जाने वाली छूट के बारे में स्पष्ट जानकारी लें।

2.     कोटेशन में वाहन का मूल्य, आरटीओ, इंश्योरेंस एवं एसेसरीज की राशि दर्शाई जाती है। आरटीओ की राशि में कौन-कौन से खर्च सम्मिलित हैं, इसकी विस्तृत जानकारी लें।

3.    इसी प्रकार इंश्योरेंस के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें, कि इंश्योरेंस कितनी अवधि का है, थर्ड पार्टी है अथवा फर्स्ट पार्टी। उसमें पर्सनल एक्सीडेंट कितनी अवधि के लिए कवर है..आदि जानकारी प्राप्त करें। आजकल वाहन विक्रेताओं द्वारा ही वाहन का पंजीयन एवं इंश्योरेंस कराकर दिया जाता है, इसलिए ये सब जानकारी प्राप्त किया जाना अत्यावश्यक है।

5.     आप यदि वाहन फायनेंस करा रहे हैं, तो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से पहले उसकी शर्तों को अच्छी तरह से समझ लेंं और जो शर्त समझ न आये उसके बारे में संबंधित कर्मचारी से स्पष्ट करने को कहें।

6.      अग्रिम चैक देते समय चैक सावधानी पूर्वक भरने के उपरांत ही सौंपे।

7.     आप एस्टीमेट एवं लोन संबंधी दस्तावेजों को संभाल कर रखें।

8.      वाहन अपने आधिपत्य में लेते समय देखलेंं कि जो एसेसरीज एस्टीमेट देते समय बताई गईंं थीं, उसमें लगा दी गईंं हैं।

9.      इसके बाद जब आपको वाहन की पालिसी सौंपी जाये, तो सबसे पहले अपने एस्टीमेट से यह जांच करें कि जितनी राशि एस्टीमेट में दर्शाई गई है, वही राशि पालिसी में दर्शाई गई है। यदि राशि में अंतर है तो विक्रेता से वापस मांगे।