बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

युवाओं के लिये निवेश का उत्तम विकल्प : म्यूचुअल फंड की एस.आई.पी.

पुराने समय में हमारे बुजुर्ग बचत के लिये तरह-तरह के विकल्प अपनाते थे। सोने में निवेश एवं प्रोपर्टी में निवेश बचत को मुख्य आधार था।

लेकिन वर्तमान में बढ़ती हुई मंहगाई के सामने ये विकल्प इस मंहगाई का सामना करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं। आधुनिक युग में हमें निवेश के ऐसे विकल्प तलाशना आवश्यक है जो कि बढ़ती हुई मंहगाई के सामानांतर लाभ प्रदान कर सकें।

वैसे तो आज बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन मेरी दृष्टि से युवाओं के लिये सबसे अच्छे विकल्प के रूप में पहला विकल्प है, म्यूचुअल फंड में एस. आर्इ. पी. (सिप) के माध्यम से निवेश और दूसरा विकल्प है पी. पी. एफ. में निवेश।

युवाओं को निवेश के लिये इन दोनों विकल्पों का उपयोग करना चाहिए। पहला विकल्प जहाँ उन्हें लम्बी अवधि में अच्छा लाभ प्रदान करेगा, वहीं दूसरा विकल्प उनके लिये पच्चीस वर्ष बाद एक निश्चित आय का स्त्रोत बन सकेगा।

आईये दोनों विकल्पों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं :

1. म्यूचुअल फंड में एस. आई. पी. के माध्यम से निवेश :


आपका सबसे पहला प्रश्न यह होगा कि ये म्यूचुअल फंड एस. आई. पी .(सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान) जिसे हम संक्षेप में ‘सिप’ भी कहते हैं, आखिर होता क्या है ?

म्यूचुअल फंड में प्रत्येक माह या एक निश्चित अवधि के अंतराल से एक निश्चित राशि का निवेश ही ‘सिप’ कहलाता है। इसमें लंबी अवधि के लिये किया गया निवेश निश्चित ही लाभप्रद होता है। ये निवेश पांच सौ रूपये से लेकर अधिकतम कितनी भी राशि का हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी शर्त यही है कि एक निश्चित अवधि के अंतराल से एक निश्चित राशि का लंबी अवधि के लिये निवेश। हमारी आय जैसे-जैसे बढ़ती जाये, हमें इसके निवेश में भी उसी अनुसार वृद्धि करते रहना चाहिए।

म्यूचुअल फंड बड़ी-बड़ी कंपनियों एवं बैंकों द्वारा संचालित किये जाते हैं। इसमें शेयर मार्केट में एवं अन्य फंडों में निवेश किया जाता है। इसके लिये उन कंपनियों या बैंकों में फंड मैनेजर नियुक्त होते हैं, जो कि बाजार के उतार-चढ़ाव के अनुसार म्यूचुअल फंड पर निगरानी रखते हैं। शेयर मार्केट भी निवेश का एक अच्छा माध्यम हो सकता है, लेकिन इसमें रिस्क अधिक होने से निवेश के लिये लंबे अनुभव की आवश्यकता होती है। 

म्यूचुअल फण्ड की यूनिट का मूल्य भी शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव के अनुसार कम-बढ़ होता रहता है। लेकिन यदि हम म्यूचुअल फंड में ‘सिप’ के माध्यम से निवेश करते हैं तो शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से ये कम ही प्रभावित होते हैं।


इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। माना कि हम सिप के माध्यम से 1000 रुपय का निवेश प्रारंभ करते हैं। हमने जिस म्यूचुअल फंड में निवेश प्रारंभ किया उसके यूनिट का मूल्य 10 रुपये था, तो हमें उस म्यूचुअल फंड के 100 यूनिट मिलेंगे। अब मार्केट अपने उच्चतम स्तर पर है तो निश्चित ही उस म्यूचुअल फंड का मूल्य भी बढ़ेगा, माना कि उसकी यूनिट का मूल्य 11 रुपये है तो हमें 1000 रुपये में 90.90 यूनिट ही मिलेंगे, लेकिन इसके साथ ही हमारे पास उपलब्ध यूनिट का मूल्य भी बढ़ जायेगा। लेकिन यदि शेयर मार्केट अचानक निम्नतम स्तर पर आ जाता है, तो निश्चित है हमारे म्यूचुअल फंड का मूल्य भी कम हो जायेगा। मान लो कि हमारे म्यूचुअल फंड का मूल्य 8 रुपये रह जाता है, तो हमें 1000 रुपये में 125 यूनिट प्राप्त होंगे। इस तरह शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव से हमारा निवेश कम ही प्रभावित होता है। इस प्रकार लंबी अवधि में इसमें निवेश हमें अच्छा लाभ देता है ।  

इसके लिये हमें किसी बैंक में डीमेट एकाउंट खोलना होता है। उसी के माध्यम से हम निवेश प्रारंभ कर सकते हैं। अन्यथा इसके लिये हम किसी ऐजेंसी का सहारा भी ले सकते हैं। 

2. पी.पी.एफ. में निवेश : 


             पी.पी.एफ. यानि कि पब्लिक प्रोविडेंट फंड। इसमें निवेश एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। पी. पी. एफ. एकाउंट किसी भी अधिकृत बैंक में अथवा पोस्ट आॅफिस में खोला जा सकता है। इसमें प्रत्येक वर्ष कम से कम 500 रुपये का निवेश आवश्यक है। इसमें निवेश की अधिकतम सीमा रुपये 150000.00 है। इसमें केन्द्र द्वारा समय-समय पर घोषित दर से ब्याज दिया जाता है। आयकर की धारा-80 सी के तहत इसमें निवेश करमुक्त होने से यह सभी की पसंद बना हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें किये गये निवेश के अतिरिक्त इस पर मिलने वाला ब्याज एवं मेच्योरिटी पर प्राप्त राशि, सभी करमुक्त होती है।

इसका खाता पंद्रह वर्ष के लिये खोला जाता है, जिसे पांच-पांच वर्ष की अवधि के लिये बढ़ाया जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर छै वर्ष उपरांत इसमें अग्रिम/निकासी का भी प्रावधान होता है।

यदि इसमें प्रत्येक वर्ष डेढ़ लाख रुपये का निवेश किया जाता है, तो इसमें पच्चीस वर्ष बाद मिलने वाली राशि लगभग एक करोड़ के आसपास हो जाती है। इसीलिये इसे सेवानिवृत्त के उपरांत मिलने वाले लाभों के लिये एक अच्छा विकल्प माना जाता है।
-दुर्गेश कुमार गुप्ता 
(एडवोकेट एवं वित्तीय परामर्शक)

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