सोमवार, 2 मार्च 2020

आकाशवाणी काव्य-संध्या : KAVYA SANDHYA (1 JAN 1995)





मेरे संग्रह से:

आकाशवाणी के बैतूल केन्द्र से दिनांक 01 जनवरी, 1995 को प्रसारित काव्य-संध्या

          मैं बैतूल में वर्ष 1993 से 1996 तक रहा। इस दौरान वहाँ के कवि एवं साहित्यकार मित्रों के साथ निरंतर मिलना-जुलना होता रहता था। आकाशवाणी का बैतूल केन्द्र वहाँ नया-नया स्थापित हुआ था। समय-समय पर आकाशवाणी भी कवि-गोष्ठी का आयोजन करता रहता था। उन्हीं काव्य-संध्याओं में से नववर्ष पर प्रसारित एक काव्य-संध्या की रिकार्डिंग अपने संग्रह से प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस गोष्ठी का महत्व मेरे लिये इसलिए भी अधिक बढ़ जाता है, क्यों कि इस गोष्ठी में मुझे देश के प्रख्यात हास्य कवि श्री नीरज पुरी जी एवं मशहूर शायर जनाब दर्द होशंगाबादी जी के साथ काव्यपाठ करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। कवि, साहित्यकार एवं कलाकार हमेशा अमर रहते हैं, चाहे उनका शरीर इस नश्वर संसार में रहे या न रहे। भाई नीरज पुरी जी आज भले से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे अमर हैं और हमेशा अमर रहेंगे।



           इस काव्य-संध्या में श्री काशिव सिद्धिकी, श्री नीरजपुरी, श्री दर्द होशंगाबादी एवं मैं स्वयं दुर्गेश गुप्त ‘राज’ सम्मिलित थे। इस काव्य-संध्या का संचालन किया था आकाशवाणी बैतूल के अधिकारी एवं शायर श्री हसन अहमद जी ने।



-दुर्गेश गुप्त ‘राज’

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