गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

आकाशवाणी-नाटक : "समयचक्र"

मेरे संग्रह से.....

आकाशवाणी-नाटक : "समयचक्र"

             इस नाटक में एक ऐसे कर्मचारी की मनोव्यथा का चित्रण किया गया है, जो ईमानदार होता है। लेकिन उसके घर चोरी हो जाने के कारण वह टूट जाता है। उसकी जवान लड़की का संबंध टूट जाता है। अंततः वह समय के बहाव में बहने का निर्णय लेता है।

लेकिन जब वह समय के बहाव में बहना शुरू कर देता है, तो उसका परिवार रास्ते से भटक जाता है। असीमित दौलत पा उसके बच्चे बहक जाते हैं और वह स्वयं गलत आदतों का शिकार हो जाता है।

जब उसकी पत्नी उसे ये सब करने से रोकती है, तब बहुत देर हो चुकी होती है। उसकी लड़की प्रेम में धोका खाने के कारण घर छोड़कर चली जाती है और स्वयं उसे पुलिस रिश्वत के आरोप में  गिरफ्तार कर लेती है।

आप भी इस मार्मिक एवं यथार्थपरक नाटक का आनंद लें।

             यह नाटक दिनांक 14 मार्च 1995 को आकाशवाणी के भोपाल केन्द्र से प्रसारित किया गया था। इस नाटक के प्रस्तुतकर्ता थे श्री शाकिर अली।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें