मेरे संग्रह से......
काव्य-संग्रह ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ का लोकार्पण (भाग-1)
आज से 22 वर्ष पूर्व दिनांक 1 फरवरी, 1998 सरस्वती जयंती एवं बसंत पंचमी के अवसर पर माँ नर्मदा-तट के समीप नर्मदानगरी होशंगाबाद में मेरे दूसरे काव्य-संग्रह ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ का विमोचन श्री चन्द्रहास बेहार जी (आयएएस) के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ था। वे प्रखर सांस्कृतिक संस्थान एवं शिव संकल्प साहित्य परिषद् द्वारा संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर संस्कृत एवं हिंदी के विद्वान साहित्यकार शास्त्री नित्य गोपाल कटारे जी का अभिनंदन भी किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री कमलेश सूर्यवंशी जी ने की थी। कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन युवा कवि श्री शिव अनुज बिल्लौरे जी द्वारा किया गया था।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस मेरे संग्रह की मुख्य कविता ‘‘कहीं कुछ नहीं काँपता’’ का महत्व मेरे लिये इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस कविता में कश्मीर को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए मैंने लिखा था कि ’’हे कर्णधारो, कश्मीर को हीरोशिमा, नाकासाकी बनने से रोको, देश के एक हिस्से को गलने से रोको....’’ और ये सुखद संयोग ही था कि विगत वर्ष 2 अगस्त, 2019 को जब जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा ‘‘एडवायजरी’’ जारी की गई थी, उस समय मैं बाबा अमरनाथ जी के दर्शन कर वापस श्रीनगर लौट रहा था, और माता वैष्णों देवी के दर्शन के समय दिनांक 5 अगस्त, 2019 को केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू एवं कश्मीर को भारत का हिस्सा घोषित करते हुए उसे केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। उसका विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे भारत का अभिन्न अंग घोषित कर दिया गया था।
अपनी यादों को सोशल मीडिया से साझा करते हुए मुझे हर्ष हो रहा है, हालांकि इस कार्य में मुझे बहुत श्रम करना पड़ रहा है। मेरी रिकार्ड की हुई कैसेट जाम हो गई हैं, और टेपरिकार्डर भी बंद रहने के कारण जाम पड़े थे। मैंने अपने टेप रिकार्डर में से एक टेपरिकार्डर को चालू किया है और कैसेट को बार-बार रिवाइंड-फास्ट फारवर्ड कर जैसे-तैसे चलने लायक स्थिति में लाकर उसमें कैसेट चला कर कार्यक्रम को कम्प्यूटर में रिकार्ड किया है। इसे मेरा जुनून ही कह लीजिये कि जिस कार्य को दो घंटे में किया जा सकता था, उसे करने में मुझे दो दिन लग रहे हैं।
होशंगाबाद में मेरे जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जिससे मैं भारतीय भाषाओं के प्रतिष्ठापन के आंदोलन को गति दे सका अनुरोध पत्रिका के माध्यम से। इस कार्य में होशंगाबाद के साहित्यकारों एवं पत्रकारों का योगदान मेरे लिये निश्चित ही अविस्मरणीय रहेगा।
शिव संकल्प साहित्य परिषद के नगरश्री पं. गिरिमोहन गुरु, शास्त्री नित्यगोपाल कटारे, श्री शिव अनुज बिल्लौरे, श्री प्रेम सोलंकी, डाॅ. रघुनंदन प्रसाद सीठा जी, श्री अमृतलाल जी मालवीय, श्री स्वस्तिक तिवारी, श्री कृष्णस्वरूप शर्मा जी, श्री विनोद मण्डलोई जी, श्री जयदेव वशिष्ठ जी, श्री अशोक मिथलेश जी, श्री ओम प्रकाश यादव, श्री मनोज चौकसे, प्रखर सांस्कृतिक संस्थान के श्री प्रवीण दुबे जी, श्री प्रदीप दुबे जी, श्री अरविंद सागर जी..... और भी बहुत से नाम हैं, जो मेरे वहाँ के जीवन के अभिन्न थे। इस संबंध में मैं अपने अगले लेख में विस्तार से लिखूंगा।
अभी तो आप इस कार्यक्रम को सुनकर आनंद लें। ये कार्यक्रम का पहला भाग है। दूसरा भाग भी शीघ्र साझा करूंगा, जिसमें काव्य एवं संगीत का मिला-जुला बड़ा ही रोचक कार्यक्रम उस दिन प्रस्तुत किया गया था। उस कार्यक्रम का संचालन किया था नगरश्री पं. गिरिमोहन गुरु जी ने।
-दुर्गेश गुप्त ‘राज’
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