वाहन क्रय करना हर किसी का स्वप्न होता है, चाहे वह दो पहिया वाहन हो या चार पहिया वाहन।
मैंने अभी नवंबर 2019 में एक मोटरसाइकिल क्रय की थी। विक्रेता द्वारा मुझे एस्टीमेट दिया गया, उसमें वाहन की कीमत, आरटीओ, इंश्योरेंस एवं एसेसरीज की राशि का वर्णन था।
नये नियमों के तहत पांच वर्ष का इंश्योरेंस करके दिया जा रहा था। उसमें एक वर्ष का फर्स्ट पार्टी एवं चार वर्ष का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस रुपये 5080.00 में करके दिया जा रहा था।
मैंने उनसे शेष चार वर्षों का भी फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस करने का अनुरोध किया। इसके लिए उन्होंने रुपये 2000.00 की अतिरिक्त मांग की। मैंने इस राशि को सम्मिलित कर चैक उन्हें दे दिया।
उन्होंने पालिसी की प्रिंट कापी और बिल एक लिफाफे में रख मुझे सौंप दिया। मैंने उस समय पालिसी एवं बिल पर एक सरसरी दृष्टि डाली और घर आकर पेपर्स संभाल कर रख दिये।
दो माह बाद जब रजिस्ट्रेशन कार्ड लेने मुझे बुलाया गया, तो मैंने पालिसी की ओरिजनल कापी की मांग की। मुझे संबंधित कर्मचारी द्वारा बताया गया कि पालिसी की वही प्रिंट कापी मिलेगी। मैंने उनसे पालिसी मेल पर भेजने का निवेदन किया, ताकि भविष्य में कभी आवश्यक हो, उसका प्रिंट निकाला जा सके।
घर आकर जब मैंने मेल पर पालिसी चैक की तो पता चला कि पालिसी में राशि रुपये 6255.00 अंकित थी। मैंने देखा कि पालिसी में पर्सनल एक्सीडेंट (PA) भी पांच वर्ष के स्थान पर एक वर्ष का था।
दूसरे दिन जब मैं शोरूम गया, और संबंधित कर्मचारी को ये सब बताया तो उसने मोबाइल पर अपने वरिष्ठ अधिकारी से बात कराई। वह सफाई देने लगा कि साहब हम एक वर्ष का पर्सनल एक्सीडेंट का बीमा अनिवार्य होने से, कराते हैं। जब मैंने जमा की गई राशि और पालिसी की राशि के अंतर के बारे में बताया तो उसने अपने अधिनस्थ कर्मचारी को रुपये 825.00 वापस करने के निर्देश दिये। मैं सोच रहा था कि यदि मैं ध्यान नहीं देता, तो मुझे ये चूना तो लग ही गया होता।
आरटीओ के खर्च में भी एजेंट के खर्च आदि राशि हमसे वसूल की जा रही है, जिसके बारे में मैं पृथक से जानकारी एकत्रित कर कार्रवाई कर रहा हूँ।
अतः यहाँ मैं आपको अपने अनुभव के आधार पर वाहन खरीदते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में अवगत करा रहा हूँ :
1. आप वाहन खरीदने से पहले, यदि आपके शहर में दो-तीन विक्रेता हों तो उनसे उस वाहन के, जो आप खरीदना चाहते हैं, उसके कोटेशन प्राप्त करें। कोटेशन प्राप्त करते समय उनसे आप उनके द्वारा दी जाने वाली छूट के बारे में स्पष्ट जानकारी लें।
2. कोटेशन में वाहन का मूल्य, आरटीओ, इंश्योरेंस एवं एसेसरीज की राशि दर्शाई जाती है। आरटीओ की राशि में कौन-कौन से खर्च सम्मिलित हैं, इसकी विस्तृत जानकारी लें।
3. इसी प्रकार इंश्योरेंस के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें, कि इंश्योरेंस कितनी अवधि का है, थर्ड पार्टी है अथवा फर्स्ट पार्टी। उसमें पर्सनल एक्सीडेंट कितनी अवधि के लिए कवर है..आदि जानकारी प्राप्त करें। आजकल वाहन विक्रेताओं द्वारा ही वाहन का पंजीयन एवं इंश्योरेंस कराकर दिया जाता है, इसलिए ये सब जानकारी प्राप्त किया जाना अत्यावश्यक है।
5. आप यदि वाहन फायनेंस करा रहे हैं, तो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से पहले उसकी शर्तों को अच्छी तरह से समझ लेंं और जो शर्त समझ न आये उसके बारे में संबंधित कर्मचारी से स्पष्ट करने को कहें।
6. अग्रिम चैक देते समय चैक सावधानी पूर्वक भरने के उपरांत ही सौंपे।
7. आप एस्टीमेट एवं लोन संबंधी दस्तावेजों को संभाल कर रखें।
8. वाहन अपने आधिपत्य में लेते समय देखलेंं कि जो एसेसरीज एस्टीमेट देते समय बताई गईंं थीं, उसमें लगा दी गईंं हैं।
9. इसके बाद जब आपको वाहन की पालिसी सौंपी जाये, तो सबसे पहले अपने एस्टीमेट से यह जांच करें कि जितनी राशि एस्टीमेट में दर्शाई गई है, वही राशि पालिसी में दर्शाई गई है। यदि राशि में अंतर है तो विक्रेता से वापस मांगे।
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